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जेल से छूटते ही अर्नब गोस्वामी ने उद्धव ठाकरे को चुनौती देते हुए कहा कि खेल तो अब शुरू हुआ है

रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में जमानत मिल गई है। बुधवार की शाम तलोजा जेल से बाहर आकर अर्णब गोस्वामी सीधे अपने स्टूडियो पहुंचे। स्टूडियो पहुंचते ही रिपब्लिक टीवी के वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को ललकारते हुए कहा कि खेल तो अब शुरू हुआ है। अर्नब ने आगे कहा- उद्धव ठाकरे आपने मुझे एक पुराने, फर्जी मामले में गिरफ्तार किया, और मुझसे माफी तक नहीं मांगी। खेल अब शुरू हुआ है। मैं हर भाषा में रिपब्लिक टीवी शुरू करूंगा और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराऊंगा। आने वाले चंद महीनों में अगर मैंने ऐसा नहीं किया तो अपना नाम बदल लूंगा।
#ArnabIsBack | Arnab roars: ‘The game has just begun’, announces launch of Republic in every language; Tune in to watch him #LIVE here – https://t.co/6bmFUc1WEd pic.twitter.com/R2fQUR9A9b
— Republic (@republic) November 11, 2020
अर्णब गोस्वामी ने फिर से गिरफ्तार होने की आशंका व्यक्त करते हुए कहा- मैं तो जेल के अंदर से भी (चैनल) लॉन्च कर दूंगा और आप (ठाकरे) कुछ नहीं कर पाएंगे। क्योंकि मेरे साथ देश की जनता है और आप अपना देख लो क्योंकि आप तो अकेले हो। आगे उन्होंने मराठी में कहा कि मुझे बेल देने के लिए मैं सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा करता हूं। सत्य की जीत हुई। जय महाराष्ट्रा। बता दें कि मराठी बोलने हुए अर्नब गोस्वामी अपनी सहयोगी का सहारा लेते भी नजर आए।
It was illegal arrest done by a govt that doesn't understand that it can't push back independent media.If Uddhav Thackeray has problem with my journalism, he should give me interview. I challenge him to debate with me on issues I disagree with him:Republic TV Editor Arnab Goswami https://t.co/yUvNHE7BVt pic.twitter.com/sKQgqbOA7C
— ANI (@ANI) November 11, 2020
उल्लेखनीय है कि 4 नवंबर से गिरफ्तार अर्णब गोस्वामी के मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि अर्नब और दो अन्य आरोपियों को 50 हजार रुपये के मुचलके पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए। न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय है। शीर्ष अदालत ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि राज्य सरकारें कुछ लोगों को विचारधारा और मत भिन्नता के आधार पर निशाना बना रही हैं।