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सुप्रीम कोर्ट ने दी Arnab Goswami को सशर्त जमानत

रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी 2018 के एक मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप को लेकर जेल में बंद हैं। सोशल मीडिया पर अर्नब गोस्वामी को लेकर चर्चा जारी है और लोग पक्ष-विपक्ष में टिप्पणी कर रहे हैं। इस मामले में रिपब्लिक टीवी के वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी को आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों नीतीश सारदा और प्रवीण राजेश सिंह को 50-50 हजार रुपये के पर्सनल बॉन्ड पर जमानत मिली है। इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट से अर्णब को राहत नहीं मिली थी।
#ArnabIsBack | मैं 170 घंटे से ये कहने का इंतजार कर रहा था और अब आखिरकार कह सकता हूं कि आप सबकी आवाज अर्नब गोस्वामी को जमानत मिल चुकी है: जन की बात के संस्थापक @pradip103 https://t.co/G945HvzM0Z pic.twitter.com/68pu3zsQ23
— रिपब्लिक.भारत (@Republic_Bharat) November 11, 2020
जानकारी के मुताबिक, अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि इस तरह से किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी पर बंदिश लगाया जाना न्याय का मखौल होगा। जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड और जस्टिस इन्दिरा बनर्जी की बेंच ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट है। शीर्ष अदालत ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि राज्य सरकारें कुछ लोगों को विचारधारा और मत भिन्नता के आधार पर निशाना बना रही हैं।
अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि एक के बाद एक ऐसे मामले हैं जिसमें हाई कोर्ट जमानत नहीं दे रहे हैं और वे लोगों की स्वतंत्रता, निजी स्वतंत्रता की रक्षा करने में नाकाम हो रहे हैं।’ कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि क्या गोस्वामी को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की कोई जरूरत थी क्योंकि यह व्यक्तिगत आजादी से संबंधित मामला है।
Supreme Court orders Republic TV editor-in-chief Arnab Goswami and other co-accused be released on interim bail. pic.twitter.com/WveX5XglSl
— ANI (@ANI) November 11, 2020
जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड और जस्टिस इन्दिरा बनर्जी की बेंच ने टिप्पणी की कि भारतीय लोकतंत्र असाधारण तरीके से लचीला है और महाराष्ट्र सरकार को इन सबको (टीवी पर अर्नब के ताने) नजरअंदाज करना चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘उनकी जो भी विचारधारा हो, कम से कम मैं तो उनका चैनल नहीं देखता लेकिन अगर सांविधानिक न्यायालय आज इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा तो हम निर्विवाद रूप से बर्बादी की ओर बढ़ रहे होंगे।’ बेंच ने कहा, ‘सवाल यह है कि क्या आप इन आरोपों के कारण व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत आजादी से वंचित कर देंगे?’ न्यायालय ने कहा, ‘अगर सरकार इस आधार पर लोगों को निशाना बनायेंगी…आप टेलीविजन चैनल को नापसंद कर सकते हैं…. लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए।’