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अब झारखंड में भी नहीं हो सकेगी CBI की एंट्री, कुल 8 राज्य उठा चुके हैं ये कदम

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने सीबीआई को लेकर एक चौंकाने वाला आदेश जारी किया है। जिसमें सीबीआई जांच के लिए सामान्‍य सहमति को वापस लेने का फैसला किया गया है। यानि अब CBI राज्य सरकार की परमिशन के बिना झारखंड में एंट्री नहीं कर पाएगी। बताया जा रहा है कि यह फैसला झारखंड सरकार और केंद्र सरकार के बीच चल रहे टकराव की वजह से लिया गया है। बता दें कि इस फैसले के साथ झारखंड देश का ऐसा 8वां राज्‍य बन गया है जिसने राज्‍य में किसी मामले की CBI जांच के लिए सामान्‍य सहमति को वापस लेने का फैसला लिया है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने बयान में कहा कि झारखण्ड सरकार द्वारा दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सदस्यों को एक कानून के तहत राज्य में शक्तियों और न्यायक्षेत्र के इस्तेमाल की सहमति को वापस लेने संबंधी आदेश जारी कर दिया गया है। CBI को अब झारखण्ड में शक्तियों और न्यायाक्षेत्र के इस्तेमाल के लिए आम सहमति नहीं होगी जो झारखण्ड सरकार (तत्कालीन बिहार) द्वारा 19 फरवरी 1996 को जारी एक आदेश के तहत दी गई थी। अब सीबीआई को किसी भी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी।

इस फैसले पर झारखंड के विपक्षी भाजपा ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि ”मुख्यमंत्री और उनकी सरकार ने अपने भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए यह कदम उठाया है” क्योंकि राज्य में हेमंत सरकार बनने के बाद से रोज करोड़ों का घोटाला हो रहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कहीं न कहीं दाल में कुछ काला है, जिसके कारण सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है।

पश्चिम बंगाल, छत्‍तीसगढ़, महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, झारखंड, केरल, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा और मिजोरम ने अपने इस हैरतअंगेज फैसले के साथ केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि केंद्र सरकार, राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी का दुरुपयोग कर रही है। हाल के दिनों में विपक्षी दलों की सरकारों और केंद्र के बीच कई मामलों को लेकर अनबन रही है। इसकी शुरुआत आंध्र प्रदेश से हुई थी, हालांकि वहां सरकार बदलने पर जनरल कंसेंट बहाल कर दिया गया था।

जनरल कंसेंट होता क्या है?
नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की तरह सीबीआई का संचालन अपने निजी कानून से नहीं होता है बल्कि एनआईए के लिए एनआईए ऐक्ट है। इसी तरह CBI का संचालन दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिसमेंट (DSPE) ऐक्ट के तहत होता है। इसका सेक्शन 6 सीबीआई को दिल्ली समेत किसी भी केंद्रशासित प्रदेश से बाहर संबंधित राज्य सरकार की अनुमति के बिना उस राज्य में जांच करने से रोकती है। इसे ऐसे भी समझें कि चूंकि सीबीआई के ज्यूरिस्डिक्शन में सिर्फ केंद्र सरकार के विभाग और कर्मचारी आते हैं, इसलिए उसे राज्य सरकार के विभागों और कर्मचारियों अथवा राज्यों में संगीन अपराधों की जांच के लिए अनुमति की जरूरत पड़ती है।

सीबीआई को राज्य से दो तरह की अनुमति मिलती है। एक- खास मामले की जांच को लेकर (केस स्पेसिफिक) और दूसरा- सामान्य सहमति (जनरल कंसेंट)। जनरल कंसेंट के तहत राज्य सीबीआई को अपने यहां बिना किसी रोकटोक के जांच करने की अनुमति देते हैं। इससे एजेंसी राज्य में कार्यरत केंद्र सरकार के कर्मचारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में आसानी होती है और उसे हर बार राज्य से अनुमति नहीं लेनी पड़ती है। अब सीबीआई इन राज्यों में पदस्थापित किसी केंद्रीय कर्मचारी या अन्य व्यक्ति के खिलाफ तब तक नया केस दर्ज और जांच नहीं कर सकती है जब तक उसे राज्य इसकी अनुमति नहीं दे दे।

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