Breaking NewsTop NewsWorldक्राइमदेशनई दिल्लीराजनीतिवायरलसोशल मीडिया
कांग्रेस सांसद शशि थरूर का बेतुका बयान, कहा-हिंदुत्व का सफल होना भारतीय अवधारणा का अंत होता है।

अक्सर अपने विरोधियों का विरोध करने के चक्कर में नेता यह भूल जाते हैं कि वह गलत बात का विरोध कर रहे हैं या सही बात का। इसी सिलसिले में अब कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी विवादित बयान दे बैठे हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने हिंदुत्व मूवमेंट को 1947 की मुस्लिम सांप्रदायिकता का प्रतिबिंब करार देते हुए कहा कि इसकी कामयाबी का अर्थ भारतीय अवधारणा का अंत होगा। उन्होंने आगे कहा कि हिंदुत्व कोई धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक सिद्धांत है। उन्होंने अपनी नई किताब ‘द बैटल ऑफ बिलांगिंग’ में कहा कि ‘हिंदू भारत’ किसी भी तरह से हिंदू नहीं होगा, बल्कि ‘संघी हिंदुत्व राज्य’ होगा जो पूरी तरह से अलग तरह का देश होगा। उनकी इस पुस्तक का शनिवार को विमोचन हुआ।
#TheBattleOfBelonging may be my most important contribution to the public debate we ought to be having about our nationhood, before India is pushed & pressed into being something other than the country Mahatma Gandhi fought to free. Agree or disagree, but do read the book! https://t.co/odDD7NAEqh
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 31, 2020
कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि उनके जैसे लोग जो अपने प्रिय भारत को संजोकर रखना चाहते हैं, उनकी परवरिश इस तरह से हुई है कि वे धार्मिक राज्य का तिरस्कार करें। हिंदुत्व आंदोलन की जो बयानबाजी है, उससे उसी कट्टरता की गूंज सुनाई देती है जिसको खारिज करने के लिए भारत का निर्माण हुआ था। एलेफ बुक कंपनी द्वारा प्रकाशित किताब में थरूर ने हिंदुत्व और संशोधित नागरिकता कानून की जमकर आलोचना की है।
उनका कहना है कि ये भारतीयता के बुनियादी पहलू के लिए चुनौती हैं। अपने ‘हिंदू पाकिस्तान’ वाले बयान से संबंधित विवाद पर पूरा एक अध्याय उन्होंने लिखा है। इसमें उन्होंने लिखा कि सत्तारूढ़ दल की ओर से पाकिस्तान का हिंदुत्व वाला संस्करण बनाने के प्रयास की निंदा की थी क्योंकि इसके लिए हमारा स्वतंत्रता आंदोलन नहीं था और न ही यह भारत की अवधारणा है जिसे हमारे संविधान में समाहित किया गया। उन्होंने लिखा कि यह केवल अल्पसंख्यकों के बारे में नहीं है जैसा भाजपा हमें मनवाना चाहेगी। उनके जैसे बहुत सारे गौरवान्वित हिंदू हैं जो अपनी आस्था के समावेशी स्वभाव को संजोते हैं और अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान के लोगों की तरह असहिष्णु एवं एक धर्म आधारित राज्य में रहने का इरादा नहीं रखते।
एआईएमआईएम नेता वारिस पठान के ‘भारत माता की जय’ का नारा नहीं लगाने से जुड़े विवाद पर उन्होंने कहा कि कुछ मुस्लिम कहते हैं कि हमें जय हिंद, हिंदुस्तान जिंदाबाद, जय भारत कहने के लिए कहिए, लेकिन भारत माता की जय कहने के लिए मत कहिए। उन्होंने कहा कि संविधान हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आजादी देता है और हमें चुप रहने की भी आजादी देता है। हम दूसरों के मुंह में अपने शब्द नहीं डाल सकते।
सीएए की जमकर आलोचना करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि यह पहला कानून है जो देश की उस बुनियाद पर सवाल करता है कि धर्म हमारे पड़ोस और हमारी नागरिकता को तय करने का पैमाना नहीं हो सकता। यह संशोधित कानून एक समावेशी राज्य के तौर पर भारत को लेकर जो धारणा है उस पर भी चोट करता है। हिंदुत्व के संदर्भ में कांग्रेस नेता ने किताब में लिखा है कि हिंदुत्व आंदोलन 1947 की मुस्लिम सांप्रदायिकता का प्रतिबिंब है। इससे संबंधित बयानबाजी से उस कट्टरता की गूंज सुनाई देती है जिसे खारिज करने के लिए भारत का निर्माण हुआ था। उन्होंने कहा कि इस हिंदुत्व की सफलता का मतलब यह होगा कि भारतीय अवधारण का अंत हो गया।