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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ हाईकोर्ट ने दिया एफआईआर दर्ज करने का आदेश, भ्रष्टाचार का है आरोप

चुनावों में भ्रष्टाचार नियंत्रण का मुद्दा बनाकर सभी राजनीतिक दल प्रचार-प्रसार तो खूब करते हैं मगर सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार पर रोकथाम के लिए ठोस कदम नहीं उठाते हैं। इस तरह बहुत बार न्यायालय ही भ्रष्टाचार नियंत्रण को लेकर पहल करता है जिससे आम आदमी को एक उम्मीद नजर आती है। ऐसा ही एक मामला उत्तराखंड से सामने आया है जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भ्रष्टाचार को लेकर हाईकोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। नैनीताल हाई कोर्ट ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। अब सीबीआई मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करेगी।
नैनीताल हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट ने यह आदेश पत्रकार उमेश शर्मा के खिलाफ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की छवि बिगाड़ने के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए दिया है। पत्रकार शर्मा के खिलाफ देहरादून के एक थाने में दर्ज एफआईआर को रद्द करने के आदेश देते हुए न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकल पीठ ने यह भी कहा कि इस मामले के सभी दस्तावेज अदालत में जमा कराए जाएं। यह आदेश पत्रकार उमेश शर्मा की उस याचिका पर आया है जिसमें पत्रकार ने अदालत से देहरादून में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की प्रार्थना की थी। एफआईआर में कहा गया था कि पत्रकार ने सोशल मीडिया के जरिए मुख्यमंत्री रावत का नाम पैसों के लेन-देन में घसीटते हुए उनकी छवि खराब की है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत(फाइल फोटो)
नैनीताल हाईकोर्ट ने पत्रकार की याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं। इनकी जांच होना और सच का सामने आना जरूरी है। यह राज्य के हित में ही होगा कि सभी तरह के संदेह खत्म हों। न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने कहा कि सीबीआई को मामले में एफआईआर दर्ज करनी चाहिए और पूरे मामले की जांच करनी चाहिए।
इस पूरे घटनाक्रम की बात की जाए तो एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत ने इसी साल 31 जुलाई को देहरादून थाने में उमेश शर्मा के खिलाफ ब्लैकमेलिंग करने सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमे के अनुसार, पत्रकार उमेश शर्मा ने सोशल मीडिया में खबर चलाई कि प्रो० हरेंद्र सिंह रावत व उनकी पत्नी डॉ. सविता रावत के खाते में नोटबन्दी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान ने पैसे जमा किए थे और यह पैसे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को देने को कहा था। इस वीडियो में डॉ० सविता रावत को मुख्यमंत्री की पत्नी की सगी बहन बताया गया है। शिकायतकर्ता के अनुसार ये सभी तथ्य असत्य हैं और उमेश शर्मा ने बैंक के कागजात कूटरचित तरीके से बनाए हैं। उसने उनके बैंक खातों की सूचना गैर कानूनी तरीके से प्राप्त की है। इस बीच सरकार ने आरोपी के खिलाफ गैंगस्टर भी लगा दी थी। बता दें कि उत्तराखंड में बीजेपी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर त्रिवेंद्र सिंह रावत को प्रदेश का मुख्यमंत्री घोषित किया हुआ है।