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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार की हुई जीत, पाकिस्तान में कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा की होगी समीक्षा

पाकिस्तान में कैद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा की समीक्षा की जाएगी। जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान की संसदीय समिति ने सरकार के उस विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय अदालत के निर्देशों के अनुरूप भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को दी गई मौत की सजा की समीक्षा करने की मांग की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, “अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (समीक्षा और पुनर्विचार) अध्यादेश” शीर्षक से प्रस्तुत मसौदा विधेयक पर नेशनल असेंबली की विधि एवं न्याय से संबंधित स्थायी समिति ने विपक्ष के तीखे विरोध के बावजूद बुधवार को चर्चा की और इसे अपनी मंजूरी दे दी है।

बताया जा रहा है कि समिति की बहस में हिस्सा लेते हुए पाकिस्तान की न्याय एवं विधि मंत्री फरोग नसीम ने कहा कि यह विधेयक अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन के तहत लाया गया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर विधेयक को संसद मंजूरी नहीं देती तो पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले का पालन नहीं करने पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।

कुलभूषण जाधव (फाइल फोटो)

भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले के घटनाक्रम पर नजर डालें तो मालूम होगा कि जासूसी और आतंकवाद में शामिल होने के आरोप में भारतीय नौसेना से रिटायर 50 वर्षीय अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने पाकिस्तान के सैन्य अदालत के फैसले और जाधव को राजनयिक संपर्क देने से इनकार करने के खिलाफ वर्ष 2017 में ही अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख किया था। उल्लेखनीय है कि हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जुलाई 2019 में दिए अपने फैसले में कहा था कि पाकिस्तान जाधव को दोषी ठहराने और सजा देने के फैसले की प्रभावी तरीके से समीक्षा करे और पुनर्विचार करे। इसके साथ ही अदालत ने भारत को बिना देरी किए जाधव तक राजनयिक पहुंच देने का आदेश भी दिया था।

जानकारी के मुताबिक, पीपीपी के सैयद नवीद कमर ने कहा कि विधेयक के जरिये पाकिस्तान सरकार जाधव को सैन्य अदालत के फैसले के खिलाफ अपील से राहत देना चाहती है, जो पाकिस्तानी नागरिकों को भी नहीं दी जाती है। उन्होंने कहा कि जाधव को एनआरओ देने के लिए लाए जा रहे इस विधेयक का हम विरोध करते हैं। वहीं विधि मंत्रालय ने कहा कि वह इस विधेयक के जरिये भारत को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पाकिस्तान के खिलाफ संभावित अवमानना का मुकदमा दर्ज करने से रोकना चाहता है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होता और मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को प्रेषित किया जाता है, तो देश को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। मंत्री ने रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश के अनुरूप अनुमति दिए जाने के बावजूद न तो भारत ने और न ही कुलभूषण जाधव ने इस्लामाबाद उच्च हाईकोर्ट में राहत के लिए याचिका दायर की है।

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