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9 वर्षीय बच्ची दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर सड़कों पर उतरीं, संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन – 2019 को कर चुकी हैं संबोधित

सर्दियों के आगमन से पहले देश की राजधानी नई दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर जनता के प्रतिनिधियों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है। राजधानी दिल्ली के पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब में पराली जलाए जाने से दिल्ली-एनसीआर की हवा धीरे-धीरे जहरीली होती जा रही है। इसके चलते दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता का स्तर 300 के अधिक पहुंच गया है। वायु प्रदूषण के इस अंधकारमय माहौल में दिल्ली के विजय चौक पर 9 वर्षीय बच्ची लिसिप्रिया कंगुजम द्वारा बैनर लेकर प्रदर्शन करने का मामला देश-दुनिया में चर्चा का विषय बनता जा रहा है।
भारतीय बाल पर्यावरण कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम का जन्म 2 अक्टूबर 2011 को मणिपुर में हुआ था। 2019 में उन्हें डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम चिल्ड्रन अवार्ड के अलावा, अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार और इंडिया पीस प्राइज़ से सम्मानित किया जा चुका है।मैड्रिड में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन-2019 में पर्यावरण को लेकर भी लिसिप्रिया अपने विचार व्यक्त कर चुकी है।
भारत की सबसे कम उम्र की जलवायु कार्यकर्ता के नाम से मशहूर लिसिप्रिया कंगुजम नेताओं से अपील करती है कि प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में कोई सार्थक कार्रवाई करें। इसका समाधान निकालने के बजाय नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाने में व्यस्त हैं। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि प्रदूषण बेहद खतरनाक रुख अख्तियार कर चुका है। बच्चे अपने घरों से नहीं निकल सकते हैं।
मैं बच्चों की सेहत को लेकर बहुत चिंतित हूं। दिल्ली के प्रदूषण से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कूड़े के साथ पराली के जलाने से भी प्रदूषण में इजाफा हुआ है। बता दें कि 2019 में लिसिप्रिया कंगुजम को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम में ग्रेटा थनबर्ग और जेमी मार्गोलिन के साथ एक विशेष पर्यावरण कार्यकर्ता के रूप में चुना गया था।
मणिपुर की लिंसिप्रिया को ग्लोबल पीस इंडेक्स इंस्टीट्यूट से वर्ल्ड चिल्ड्रन पीस प्राइज और 2019 के यूनाइटेड नेशन क्लाइमेट चेंज समिट में सबसे कम उम्र की वक्ता बनने के लिए इंटरनेशन यूथ कमिटी की ओर से इंडियन पीस प्राइज भी मिल चुका है। ये पुरस्कार पाने वाली वह सबसे कम उम्र की युवा हैं।