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कोरोनाकाल में लिखी डायरी का ऐतिहासिक संकलन है डॉ० अभिषेक कुमार की पुस्तक ‘इंडिया फाईट्स अगेंस्ट कोविड-19’

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से आज हर‌ कोविड-19 निगेटिव/पॉजिटिव व्यक्ति प्रभावित है। जो व्यक्ति इस गंभीर बीमारी से संक्रमित हुए हैं वो तो इस बीमारी के इलाज, मानसिक पीड़ा, समाज के असहयोग रवैए, परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता इत्यादि परेशानियों को लेकर तनावग्रस्त रहते ही हैं। जो व्यक्ति इस बीमारी के संक्रमण से बचने में अब तक कामयाब रहे हैं, वो इस बीमारी के दुष्प्रभाव जैसे कि लॉकडाउन, आय के घटते स्त्रोत और बढ़ते खर्चे, परिवार के सदस्यों के मानसिक तनाव को लेकर चिंतित बने हुए हैं। गौरतलब है कि ये बातें आज हमें इसलिए मालूम है क्योंकि इस वैश्विक महामारी का हम साक्षात् सामना कर रहे हैं। आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए शायद हम ये बातें बताने के लिए जीवित ना रहें किंतु बिहार के युवा साहित्यकार और नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ० अभिषेक कुमार जी की यह पुस्तक इंडिया फाईट्स अगेंस्ट ‘कोविड-19’ (कोरोना डायरी) जरूर लोगों को बताएगी कि चीन की एक लापरवाही के चलते पूरे विश्व को कितने बड़े संकटों का सामना करना पड़ा था।

इंडिया फाईट्स अगेंस्ट ‘कोविड-19’ दरअसल कोरोनाकाल में डायरी में लिखी रिपोर्ट्स और कविताओं के संकलन को पुस्तक का रुप दिया गया है जो‌ युवा रचनाकार ने कोरोनाकाल के अपने अनुभवों, सामाजिक पीड़ा, हमारी सरकारों की कार्यशैली, देश-दुनिया के स्वास्थ्य संगठनों के प्रति मानव की उम्मीद, कोरोना के प्रभाव को लेकर हमारे देश की पत्रकारिता का स्तर, कोरोना काल का देश और विश्व की राजनीति पर पड़ने वाला प्रभाव, विश्व के बहुत से देशों द्वारा घोषित लॉकडाउन के सामाजिक, प्राकृतिक, शैक्षणिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव इत्यादि को लेकर विशेष रिपोर्टर्स तैयार की गई हैं। डॉ० अभिषेक कुमार ने 21 मार्च 2020 से लेकर 3 जून 2020 तक कोरोना वायरस को लेकर अपने उक्त अनुभवों पर डायरी लिखना शुरू की थी और साथ ही, अपनी फेसबुक वॉल पर इन रिपोर्ट्स को साझा करते रहते थे। इन्हीं सब को संकलित करते हुए यह पुस्तक पाठकों और सामाजिक चिंतकों के लिए तैयार करवाई गई है।

इस पुस्तक में लेखक ने देश के छोटे-छोटे गांवों की परिस्थितियों का आंकलन करने के साथ-साथ विश्व के अनेक बड़े देशों को ध्यान में रखकर कोरोना वायरस नामक गंभीर बीमारी पर अनेक महत्वपूर्ण खोजी रिपोर्ट तैयार की हैं कि इस वैश्विक महामारी से देश के गांवों के कृषि क्षेत्र, लोगों के बीच संवाद की गंभीरता, ग्रामीणों के पाचन तंत्र की मजबूती और हमारे शासन-प्रशासन का इन गांवों की ओर ध्यान ना देना, ग्रामीणों द्वारा मास्क पहनने की अनिवार्यता, बार-बार हाथ धोने के लिए पानी की उपलब्धता, कोरोनाकाल में ऑनलाइन पढ़ाई के उत्साह में ग्रामीणों के पास अच्छे इंटरनेट कनेक्शन और महंगे मोबाइल फोन की अनुपलब्धता, लॉकडाउन के चलते गांवों और शहरों के बीच बढ़ रही दूरियों और गांवों में उपयोगी सामग्री की अधिक कीमत पर उपलब्धता, सरकार की नीतियों से ग्रामीणों पर पड़ने वाले प्रभाव, कोरोनावायरस को लेकर मीडिया द्वारा सनसनीखेज खबरें करने से ग्रामीणों में भय का माहौल, लॉकडाउन के कारण घरों में कैद बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्तर पर पड़ने वाले प्रभाव, यातायात के साधनों के थमे हुए पहियों के दौरान हजारों किलोमीटर पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों की व्यथा, सड़क पर चलते चलते सड़क किनारे बच्चों को जन्म दे रहीं स्त्रियां, कोरोनाकाल में अपनी और परिवार की चिंता छोड़ ‘कोरोना योद्धा’ के रूप में काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी, आपातकालीन सेवाओं में कार्यरत कर्मचारी और अधिकारी, मीडियाकर्मी, बैंक कर्मी, विशेष सेवा के लिए कार्यरत शिक्षकगण, पेट्रोल पंप पर कार्यरत कर्मचारी, सफाईकर्मी इत्यादि के प्रति विशेष सम्मान अर्पित करते हुए अपनी कलम के जरिए एक बेहतरीन पुस्तक तैयार की है डॉ० अभिषेक कुमार ने।

अनेक बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार करने के साथ युवा रचनाकार ने इस पुस्तक में अपने भावों को कविता रूप में भी व्यक्त किया है। 52 कविताओं के जरिए डॉ० अभिषेक कुमार ने कोरोना योद्धाओं के साथ देशवासियों का हौंसला बढ़ाने का एक सफलतम प्रयास किया है। कोरोनाकाल में कोविड-19 बीमारी से अलग देश में होने वाली घटनाओं जैसे विशाखापत्तनम में गैस त्रासदी, महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं की मॉब लिंचिंग में हत्या, केरल में गर्भवती हथिनी द्वारा पटाखे से भरा फल खाने से मौत इत्यादि पर बेहद भावुक रचनाएं पाठकों को सौंपी हैं। इसके अलावा कवि मन का परिचय देते हुए कुछ श्रृंगार रस की कविताओं को भी इस पुस्तक में श्रेणीबद्ध किया गया है। चूंकि किसी भी पुस्तक की कोई सीमित उम्र नहीं होती है किन्तु यह पुस्तक मानव जीवन के इतिहास की एक बेहद उपयोगी पुस्तक है जो धरती पर मानव जीवन की बढ़ती उम्र के साथ अपनी उपयोगिता और उम्र बढ़ाती रहेगी। डॉ० अभिषेक कुमार ने यह पुस्तक लिखने के लिए एक साहसिक और ऐतिहासिक कदम उठाया है। पुस्तक में कोरोना वायरस के प्रभाव की अधिकता के साथ मानव जीवन को प्रभावित करने वाले अनेक बिंदुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा के साथ भावनात्मक पक्ष को भी दर्शाया गया है। कोरोनाकाल में बलिया (बिहार) के युवा रचनाकार ने लॉकडाउन के दौरान समय रहते हुए डायरी लेखन का बेहतरीन काम किया है जिससे आगे आने वाली अनेक पीढ़ियां भी लाभान्वित होंगी।

 

• पुस्तक- इंडिया फाईट्स अगेंस्ट ‘कोविड-19’ (कोरोना डायरी)
• रचनाकार- डॉ० अभिषेक कुमार
• अंकित मूल्य- 151 रूपए
• प्रकाशन- लेखक द्वारा स्वप्रकाशित
✍️ समीक्षा : दिनेश दिनकर
• समीक्षा हेतू संपर्क करें: Livesamaybharat@gmail.com

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