Breaking NewsGamesTop NewsWorldखेलदेशमध्य प्रदेशवायरलसमय विशेषसोशल मीडियाहिमाचल प्रदेश

देश के पहले ट्रांसजेंडर पर्वतारोही बने मध्यप्रदेश के सौरव किट्टू टांक, फतह की 6000 मीटर ऊंची वर्जिन पीक

मध्य प्रदेश के ट्रांसजेंडर (किन्नर) पर्वतारोही सौरव किट्टू टांक ने 6000 मीटर (19685 फीट) की ऊंचाई पर चढ़ते हुए हिमाचल प्रदेश में की वर्जिन पीक शिखर को फतह करते हुए भारत में इतिहास रच दिया है। यह उपलब्धि हासिल करने वाली संभवत: किट्टू देश की पहली ट्रांसजेंडर पर्वतारोही बन गई हैं। किट्टू ने बताया कि पहले मैं बधाइयां मांगकर अपना जीवन बसर कर रही थी। नया जीवन पाकर बहुत खुश हूं। सबकी खुशी में ताली बजाई अब अपने लिए लोगों की तालियां चाहती हूं।

इंडियन मांउटेनिंग फेडरेशन (आइएमएफ) द्वारा हिमाचल प्रदेश के स्पीति वैली में स्थित वर्जिन पीक में आयोजित परमिट माउंटेन एक्सपीडिशन में 10 सदस्यीय दल ने भाग लिया। 26 सितंबर को शुरू हुई थी यह यात्रा और दो अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर इस दल ने शिखर को फतह किया है। किट्टू के साथ माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली मध्य प्रदेश की पहली महिला पर्वतारोही मेघा परमार और शोभित शर्मा भी शामिल थे। सोमवार को पर्वतारोही मेघा परमार और शोभित के साथ ही ट्रांसजेंडर पर्वतारोही किट्टू ने केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू से मुलाकात की। सौरव को केंद्र सरकार की ओर से भी हौसला अफजाई मिली। सौरव और उनके सहयोगियों ने केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के मंत्री किरण रिजिजू से मुलाकात की। केंद्रीय मंत्री ने सौरव की इस उपलब्धि के लिए सराहना की है।

ट्रांसजेंडर पर्वतारोही किट्टू ने ‘वर्जिन पीक’ के शिखर पर पहुंचने के बाद नर-नारी के समान ही किन्नर समुदाय को भी सम्मान मिले इसलिए “नर-नारी और किन्नर एक समान” का नारा लगाया है। कोच मेघा परमार ने बताया कि यह विचार उसके खुद के हैं। 18 वर्षीय किट्टू ने 12वीं तक पढ़ाई की है। उन्होंने कहा कि अब तक बहुत से स्थानों पर भेदभाव होते देखा है। इसलिए मैं चाहती हूं कि हमे भी महिला व पुरुष की तरह हर सार्वजनिक स्थान पर अलग से शौचालय की व्यवस्था मिलनी चाहिए। किट्टू ने कहा कि पर्वतारोही मेघा परमार ने मेरी जिंदगी बदल दी है।

मंगलमुखी ट्रांसजेंडर वेलफेयर एसोसिएशन के संस्थापक काजल मंगलमुखी के साथ देश के पहले ट्रांसजेंडर पर्वतारोही सौरव किट्टू टांक (फाइल फोटो)

मंगलमुखी ट्रांसजेंडर वेलफेयर एसोसिएशन के संस्थापक काजल मंगलमुखी ने कहा कि माता-पिता द्वारा छोड़ दिए जाने के बाद संस्थान ने सौरव का पालन-पोषण किया। इतनी ऊंची चोटी पर सौरव द्वारा तिरंगा फहराने पर हमें गर्व है। काजल ने उम्मीद जताई है कि एक दिन सौरव हिमालय की सबसे ऊंची चोटियों तक भी पहुंचेगा।

Tags

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Close