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शाहीन बाग में धरना-प्रदर्शनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- अधिकारियों को न्यायालयों के आदेशों के पीछे नहीं छिपना चाहिए

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में देश की राजधानी नई दिल्ली के शाहीन बाग में 100 दिनों से ज्यादा दिन तक चले धरना-प्रदर्शन से रोड ब्लॉक होने के चलते लोगों को हुई परेशानी पर सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को अपने फैसले में कई सख्त टिप्पणियां करते हुए शासन-प्रशासन को भी आड़े हाथों लिया है। सुप्रीम कोर्ट की ये तल्ख टिप्पणियां न केवल प्रदर्शनकारियों द्वारा रोड बंद किए जाने को लेकर हैं, बल्कि इस मसले पर प्रशासन के रवैये पर भी सख्त नाराजगी देखी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट तौर पर कहा कि कोई भी व्यक्ति या समूह द्वारा सार्वजिनक स्थानों पर अनिश्चितकाल के लिए कब्जा नहीं किया जा सकता है। साथ ही कोर्ट ने इस पूरे मामले पर प्रशासनिक कार्रवाई और उसके रवैये पर गहरा असंतोष जताया है।
देश की राजधानी नई दिल्ली के शाहीन बाग में धरना-प्रदर्शन कर रही महिलाएं (फाइल फोटो)
जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय बेंच ने अपने फैसले में ये सख्त टिप्पणियां की हैं…..
• “सोशल मीडिया चैनल अक्सर खतरे से भरे होते हैं” और वे अत्यधिक ध्रुवीकरण वाले वातावरण की ओर ले जाते हैं।
• शाहीन बाग में ऐसा ही हुआ, जहां विरोध के रूप में शुरुआत हुई और इससे यात्रियों को असुविधा हुई।
• धरना प्रदर्शन या पब्लिक मीटिंग निर्धारित जगहों पर ही होने चाहिए।
• धरना-प्रदर्शन के नाम पर सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चितकाल तक कब्जा नहीं किया जा सकता है।
• विरोध-प्रदर्शन के नाम पर दूसरे लोगों को परेशानी नहीं पहुंचाई जा सकती।
• लॉ एंड ऑर्डर को बनाए रखने के लिए किस तरीके से प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए, यह उनकी जिम्मेदारी है।
• प्रशासनिक कार्यों को करने के लिए अदालत के आदेशों के पीछे नहीं छिपना चाहिए।
• दुर्भाग्य से प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई और इस तरह हमें हस्तक्षेप करना पड़ा।
वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उक्त टिप्पणियां की हैं। शाहीन बाग में 15 दिसंबर, 2019 को धरना शुरू हुआ था। जिसमें प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली-नोएडा मार्ग पर जमावड़ा लगा दिया था। जिससे कालिंदी कुंज से होकर नोएडा से दिल्ली और फरीदाबाद आने-जाने वाले लाखों लोगों को महीनों तक परेशानी हुई थीं। इन्हें कई किलोमीटर का चक्कर काटकर आना-जाना पड़ रहा था। वहीं, इस मार्ग के बंद होने के कारण रिंग रोड, मथुरा रोड और डीएनडी पर यातायात का अतिरिक्त दबाव पड़ रहा था। इस कारण इन मार्गो पर भयंकर जाम लगता रहता था। वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी द्वारा याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी जिसपर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। एडवोकेट साहनी ने अर्जी में कहा था कि सड़कों पर ऐसे विरोध जारी नहीं रह सकते। सड़कों को ब्लॉक करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद प्रदर्शन 100 दिनों तक चलते रहे और सुप्रीम कोर्ट को दिशानिर्देश तय करने चाहिए।
शाहीन बाग इलाके में धरना-प्रदर्शनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया गया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को कुछ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह, सुप्रीम कोर्ट की वकील साधना रामचंद्रन और वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े को वार्ताकार नियुक्त किया था। रामचंद्रन और हेगड़े 19 फरवरी को प्रदर्शनस्थल पहुंचे और उन्होंने वहां भारी तादाद में जुटे प्रदर्शनकारियों को सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़कर सुनाया था। किंतु तब शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने वार्ताकारों की बात नहीं मानी और सुप्रीम कोर्ट की पहल रंग नहीं ला सकी।