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10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग का पीएम मोदी ने किया उद्घाटन, दस साल में बनकर हुई तैयार

भारतीय सीमा पर तैनात जवानों को सुविधाजनक माहौल उपलब्ध कराने हेतू भारत सरकार हमेशा से तैयार रही है। मौजूदा समय में पड़ोसी देश चीन के सैनिकों से हमारे बहादुर जवानों की झड़प होने की खबरें आती रहती हैं। इसी के मद्देनजर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सीमा पर जाकर भारतीय सैनिकों का हौंसला बढ़ाने हेतू जा चुके हैं। सर्दियों में कई फुट तक जमी बर्फ में भी अब लाहौल-स्पीति घाटी का संपर्क बना रहेगा। समुद्र तल से 10,000 फुट की ऊंचाई पर बनी अटल टनल (रोहतांग टनल) के प्रयोग में लाने पर यह मुमकिन हो पाएगा।
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस यह टनल देखने में घोड़े की नाल की आकार का बताया जा रहा है। करीब 9.02 किलोमीटर लंबी यह पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी। बता दें कि अब तक यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग 6 महीने तक अलग-थलग रहती थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 3 अक्टूबर को इस अटल टनल का उद्घाटन किया है। अटल टनल दुनिया की सबसे लंबी हाइवे टनल है। इस टनल की निर्माण लागत करीब 3200 करोड़ रुपये है। इस प्रोजेक्ट का निर्माण 6 साल से कम समय में होना था लेकिन विकट परिस्थितियों में काम करने के चलते इसे पूरा होने में 10 साल का समय लग गया।
Himachal Pradesh: Visuals from Sissu in Lahaul valley where PM Narendra Modi will address a public gathering today after inaugurating Atal Tunnel which is the longest highway tunnel in the world.
The tunnel connects Manali to Lahaul-Spiti valley throughout the year. pic.twitter.com/9hyFrFy161
— ANI (@ANI) October 3, 2020
पीएम मोदी सड़क मार्ग से धुंधी में साउथ पोर्टल पहुंच अटल टनल का उद्घाटन किया। उद्घाटन के बाद पीएम मोदी नॉर्थ पोर्टल में निगम की बस को हरी झंडी दिखाकर 15 बुजुर्ग यात्रियों को साउथ पोर्टल की तरफ रवाना किया। मनाली के सासे हेलीपेड पर पीएम मोदी का सीएम जयराम ठाकुर, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और सांसद रामस्वरूप शर्मा ने स्वागत किया. इससे पहले, पीएम मोदी हवाई जहाज से दिल्ली से सुबह सात बजे चंडीगढ़ एयरपोर्ट पहुंच गए थे।
अटल टनल हिमालय की पीर पंजाल रेंज में औसत समुद्र तल (एमएसएल) से 3000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर बनाई गई है। इससे मनाली और लेह के बीच सड़क की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई है। साथ ही दोनों जगहों के बीच के सफर का समय करीब 4 से 5 घंटे की घट गया है। अटल टनल का दक्षिण पोर्टल (एसपी) मनाली से 25 किलोमीटर दूर 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि इसका उत्तर पोर्टल (एनपी) लाहौल घाटी में तेलिंगसिस्सु गांव के पास 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
Himachal Pradesh: Chief of Defence Staff General Bipin Rawat and Army Chief General MM Naravane at Atal Tunnel, Rohtang pic.twitter.com/txyLkdyeJR
— ANI (@ANI) October 3, 2020
दूरगामी सोच का परिचय देते हुए भारत सरकार ने इस अटल टनल का निर्माण करवाया है जिसकी अनेक विशेषताएं हर भारतीय को गौरवान्वित महसूस करा रही है। जानकारी के मुताबिक, अटल टनल को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्व के लिए डिजाइन किया गया है। यह टनल सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम, एससीएडीए नियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणाली सहित अति-आधुनिक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल प्रणाली से लैस है। यह टनल घोड़े की नाल के आकार की है
यह 8 मीटर सड़क मार्ग के साथ सिंगल ट्यूब और डबल लेन वाली टनल है। इसकी ओवरहेड निकासी 5.525 मीटर है। यह 10.5 मीटर चौड़ी है. इसमें 3.6x 2.25 मीटर फायर प्रूफ आपातकालीन निकास टनल भी है, जिसे मुख्य टनल में ही बनाया गया है। दोनों पोर्टल पर टनल प्रवेश बैरियर बनाया गया है। आपातकालीन कम्युनिकेशन के लिए प्रत्येक 150 मीटर दूरी पर टेलीफोन कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध है। प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर फायर हाइड्रेंट सिस्टम लगाए गए हैं। प्रत्येक 250 मीटर दूरी पर सीसीटीवी कैमरों से युक्त स्वत: किसी घटना का पता लगाने वाला सिस्टम के साथ प्रत्येक किलोमीटर दूरी पर एयर क्वालिटी गुणवत्ता निगरानी रखी गई है।
साथ ही,प्रत्येक 25 मीटर पर निकासी प्रकाश/निकासी इंडिकेटर के साथ पूरी टनल में प्रसारण प्रणाली की व्यवस्था की गई है। प्रत्येक 50 मीटर दूरी पर फायर रेटिड डैम्पर्स तथा प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर कैमरे लगाए गए हैं।
गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे तब 03 जून, 2000 को रोहतांग दर्रे के नीचे एक स्ट्रैटजिक टनल का निर्माण करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था। टनल के दक्षिण पोर्टल की पहुंच रोड की आधारशिला 26 मई, 2002 को रखी गई थी। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने प्रमुख भूवैज्ञानिक, भूभाग और मौसम की चुनौतियों पर काबू पाने के लिए जी-तोड़ मेहनत की। इनमें सबसे कठिन प्रखंड 587 मीटर लंबा सेरी नाला फॉल्ट जोन शामिल है, दोनों छोर पर सफलता 15 अक्टूबर, 2017 को मिली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 24 दिसंबर 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिए गए योगदान को सम्मान प्रदान करने के लिए रोहतांग टनल का नाम अटल टनल रखने का निर्णय लिया था।