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वृंदावन के मंदिरों में जूते-चप्पल की रखवाली कर ‘यशोदा माई’ ने गौशाला निर्माण के लिए दान की 50 लाख रुपए की कमाई

समाज में अक्सर ठगी, संपत्ति विवाद, बिजनेस में धोखा जैसे अपराध सुनने को मिलते रहते हैं किन्तु इसी समाज में कुछ ऐसे महान लोग भी हैं जो अपनी मेहनत की कमाई को समाज हित में नि:स्वार्थ खर्च करते रहते हैं। ऐसा ही एक संतोषजनक एवं प्रेरणादायक उदाहरण सामने आया है भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में डूबी हुई एक वृद्ध महिला का जो इन दिनों भगवान बांके बिहारी की नगरी वृन्दावन में रहते हुए पूरे भारत में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। ‘यशोदा माई’ के नाम से विख्यात इस बुजुर्ग महिला ने एक-दो नहीं बल्कि पूरे 50 लाख रुपये दान करते हुए अपने आराध्य की सेवा में गौशाला और आश्रम के निर्माण में लगा दिए हैं।
वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण के दर पर जूते-चप्पलों की रखवाली करती हुई यशोदा माई
बता दें कि यशोदा माई का असली नाम फूलमती है और वो मूल रूप से मध्य प्रदेश के कटनी के हीरागंज इलाके के एक सम्पन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाली महिला है । वो अपने जवान बेटे,बेटी तथा पति की एक दुर्घटना के कारण हुई आकस्मिक मौत से विचलित होकर भगवान की शरण मे वृन्दावन आ गयी थीं और फिर यहीं की होकर रह गईं। करीब 40 वर्ष पहले वृंदावन में आईं यशोदा माई की एक इच्छा थी कि वो वृन्दावन में एक गौशाला बनवाएं और वहीं रहकर भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय गायों की सेवा करें। अपनी इन्हीं इच्छाओं को पूरी करने और अपने आराध्य भगवान बांकेबिहारी जी के हमेशा नजदीक रहें, इसके लिए उसने मंदिर आने वाले भगवान के भक्तों के जूता चप्पल रखने की सेवा को जीवन यापन के लिए चुना।
70 साल की यशोदा माई स्वाभिमान की धनी हैं। वृंदावन में उन्होंने किसी के सामने हाथ फैलाने के बजाय अपने प्रिय भगवान श्रीकृष्ण के दर को ही अपनी जीविका के लिए चुना। जानकारी के मुताबिक, मंदिर के गेट नंबर चार पर आने वाले श्रद्धालुओं के जूते चप्पल की रखवाली करते हुए यशोदा माई प्रति दिन 600 से 1000 रुपये कमा लेती हैं और पिछले 40 वर्षो से वो वृन्दावन में यही सेवा कर रही हैं। अपने लिए नाम मात्र का खर्च कर ,बाकी के सारे रुपए जमा करती रहीं। बता दें कि यशोदा की कमाई से यहां गौशाला बनाने में आर्थिक संकट सामने आया तो उन्होंने अपने कटनी वाले दो मकानों को भी बेच दिया और बाँकेबिहारी मंदिर के समीप ही गौशाला का निर्माण करा दिया। साथ ही साथ एक आश्रम के निर्माण के लिए 11 लाख रुपये भी दान भी कर दिए। यशोदा की अभी एक और इच्छा है कि वो भगवान श्रीकृष्ण की प्रियतमा राधा रानी के गांव बरसाना में भी एक गौशाला का निर्माण करवाएं।