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हिंदी भी बनेगी जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषा, लोकसभा ने दी जम्मू-कश्मीर आधिकारिक (संशोधन) विधेयक को मंजूरी

जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लोगों की शिक्षा, संस्कृति, विकास को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। बता दें कि लोकसभा ने जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी है। इसमें पांच भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, कश्मीरी और डोंगरी को केंद्र शासित प्रदेश की आधिकारिक भाषा का दर्जा देने का प्रावधान है।
A momentous day for the people of J&K as Jammu Kashmir Official Languages (Amendment) Bill was passed in Lok Sabha. Kashmiri, Dogri, Urdu, Hindi and English will now be the official languages of J&K: Home Minister Amit Shah pic.twitter.com/48eMJI3bgr
— ANI (@ANI) September 22, 2020
पार्लियामेंट के निचले सदन में जब गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने इस विधेयक को पेश किया, तो नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने इसका विरोध किया। जिसके जवाब में गृह राज्यमंत्री रेड्डी ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से कश्मीरी, डोंगरी, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं को जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषा के तौर पर घोषित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग कश्मीरी, डोंगरी और हिंदी को बड़ी संख्या में बोलते हैं और समझते हैं। गृह राज्यमंत्री रेड्डी ने आगे कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश में जितने लोग कश्मीरी बोलने वाले हैं, उनमें से 53.26 % जम्मू कश्मीर में हैं। लेकिन 70 साल तक वह आधिकारिक भाषा नहीं थी, जो एक ऐतिहासिक भूल थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इन ऐतिहासिक गलतियों को सुधारा जा रहा है और हम यह भी करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार भाषा, धर्म, जाति के आधार पर भेदभाव में विश्वास नहीं रखती है।
बता दें कि लोकसभा ने ध्वनिमत से जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 को मंजूरी प्रदान कर दी है। गृह राज्य मंत्री ने कहा कि 70 साल से उर्दू जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषा है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में उर्दू भाषा बोलने वाले 0.16 % ही हैं। उन्होंने आगे कहा कि उर्दू और अंग्रेजी दोनों को आधिकारिक भाषा के तौर पर जारी रखा जाएगा। डोंगरी वहां दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।
A momentous day for the people of J&K as Jammu Kashmir Official Languages (Amendment) Bill was passed in Lok Sabha.
With this historic bill…Long-awaited dream of the people of J&K comes true!
Kashmiri, Dogri, Urdu, Hindi and English will now be the official languages of J&K.
— Amit Shah (@AmitShah) September 22, 2020
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा (संशोधन) विधेयक-2020 पारित होने को जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए महत्वपूर्ण बताया। गृहमंत्री शाह ने कहा कि इस विधेयक के तहत ‘गोजरी’, ‘पहाड़ी’ और ‘पंजाबी’ जैसी क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए आज एक महत्वपूर्ण दिन है जब लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा(संशोधन) विधेयक पारित किया गया है। इस ऐतिहासिक विधेयक के साथ ही जम्मू-कश्मीर के लोगों का बहुप्रतीक्षित सपना सच हो गया।’ गृहमंत्री ने कहा कि अब कश्मीरी, डोंगरी, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषा होंगी। गृह मंत्री शाह ने विधेयक पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हुए ट्वीट किया ‘मैं इस विधेयक के माध्यम से जम्मू-कश्मीर की संस्कृति को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देता हूं। मैं जम्मू-कश्मीर की अपनी बहनों और भाइयों को यह आश्वासन भी देना चाहता हूं कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर के गौरव को वापस लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी।’
जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 का विरोध करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने कहा कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत यह सब किया जा रहा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इस अधिनियम को चुनौती दी गई है। जिस पर संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में संवैधानिक शुचिता का पालन होता है। जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है कि तो इस तरह का विधेयक नहीं लाया जा सकता है। सांसद मसूदी ने कहा कि अंग्रेजी और उर्दू दोनों का आधिकारिक भाषा के तौर पर पहले से इस्तेमाल हो रहा है। यहां असमंजस पैदा करने के लिए पांच भाषाओं को आधिकारिक सूची में शामिल किया गया है। सांसद मसूदी के बयान पर कार्मिक, लोक शिकायत राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस के सांसद ने जो कहा वो सदन को गुमराह करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि कश्मीरी भाषा का विरोध क्यों किया जा रहा है जबकि नेशनल कांफ्रेंस ने कश्मीरियत के नाम पर राजनीति की है। सांसद मसूदी ने अपनी पार्टी को अपने आवाम के सामने बेनकाब कर दिया है।
गौरतलब है कि पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया था। इसके साथ ही उसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था। जिसके तहत केंद्र सरकार लगातार जम्मू-कश्मीर में बदलाव ला रही है।