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मलयालम के मशहूर कवि अक्कीतम अच्युतन नंबूदिरी को दिया गया 55वां ज्ञानपीठ पुरस्कार

मलयालम के मशहूर कवि अक्कीतम अच्युतन नंबूदिरी को गुरुवार को देश के साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ दिया गया। उनके कुमारानाल्लूर स्थित आवास पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार अक्कीतम को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राज्य के संस्कृति मंत्री ए के बालन ने अक्कीतम को यह पुरस्कार दिया। बता दें कि ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा पिछले साल नवंबर में की गई थी लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते घोषित लॉकडाउन की वजह से ज्ञानपीठ पुरस्कार सौंपने के कार्यक्रम में देरी हुई है।

एक विशेष कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार अक्कीतम अच्युतन नंबूदिरी को ज्ञानपीठ पुरस्कार सौंपते हुए

केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि वरिष्ठ साहित्यकार अक्कीतम का लेखन केरलवासियों के लिए मलयालम भाषा की कहावत बन गया है। मलयालम साहित्य के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले अक्कीतम छठे लेखक हैं।

वर्ष 1926 में जन्मे अक्कीतम अच्युतन नंबूदिरी ने कविताओं के अलावा नाटक, संस्मरण, अनुवाद, आलोचनात्मक निबंध और बाल साहित्य समेत साहित्य की तमाम विधाओं में बेहतरीन काम किया है। उनकी रचनाएं भारत के साथ-साथ विदेशों में भी पढ़ी जाती हैं। वरिष्ठ साहित्यकार अक्कीतम को ये सम्मान देने का फैसला लेने वाले ज्ञानपीठ चयन बोर्ड की अध्यक्ष और पूर्व ज्ञानपीठ विजेता प्रतिभा राय ने कहा कि तेजी से बदल रहे सामाजिक परिवेश में उनकी रचनाएं मानवीय भावनाओं को बड़ी ही गहराई से उकेरती हैं। अक्कीतम अब तक 55 किताबें लिख चुके हैं। इनमें से 45 कविता संग्रह हैं। इनमें से कुछ चर्चित किताबे-  “खंड काव्य”, “कथा काव्य”, “चारित्र काव्य” और गीत। उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियों में “वीरवदाम”, “बालिदर्शनम”, “निमिषा क्षेठ्राम”, “अमृता खटिका”, “अक्खितम कविताखका”, “महाकाव्य ऑफ ट्वेंटीथ सेंचुरी” और “अंतिमहकलम” शामिल हैं। अक्कीतम पद्मश्री से भी सम्मानित किए जा चुके हैं। अक्कीतम को 1973 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1972 और 1988 में केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा मातृभूमि पुरस्कार और कबीर सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।

ज्ञानपीठ पुरस्कार की एक प्रतीकात्मक तस्वीर

भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ है। भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो, इस पुरस्कार के योग्य है। बता दें कि पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है।

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