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पाकिस्तान में हिंदू संगठनों ने की मंदिर बनाने की मांग, मुस्लिम संगठनों ने किया विरोध

अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर के निर्माण से भारत के साथ विश्व के अनेक देशों में रहने वाले लोग जिनकी हिन्दू धर्म में आस्था है, को अपनी धर्म, संस्कृति को लेकर जागरूक होते जा रहे हैं। इसका सटीक उदाहरण मिल रहा है पड़ोसी देश पाकिस्तान में। जहां एक बार फिर हिंदू मंदिर बनाने की आवाज बुलंद होने लगी है। गौरतलब है कि पहले भी वहां हिंदू मंदिर बनाने की पहल हुई थी, लेकिन इसे लेकर काफी विवाद हो गया था। गैर-हिंदू संगठनों के दबाव और विरोध के चलते बाद में पाकिस्तान सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था। पाकिस्तान सरकार द्वारा हिन्दुओं को मंदिर निर्माण के लिए जमीन देने के फैसले के विरोध में वहां के इस्लामिक संगठनों ने फतवा जारी कर दिया था।

पाकिस्तान में हिंदू संगठनों के एक साथ होने से एक बार फिर से वहां हिंदू मंदिर बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। साथ ही पाकिस्तान हिंदू परिषद के सदस्यों ने कहा है कि हिंदू समुदाय की जरूरी चीजें जैसे श्मशान और मंदिर की स्थापना का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि होली और दिवाली जैसे विवाह और त्योहारों से संबंधित समारोहों के लिए राजधानी में एक जगह होनी चाहिए।

हिन्दू मंदिर निर्माण को लेकर विरोध जताने वाले कट्टरपंथियों पर निशाना साधते हुए पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के एमएनए लाल चंद मल्ही ने कहा कि मंदिर का विरोध करने वाले कह रहे हैं कि मुस्लिम करदाताओं का पैसा मंदिर में ना लगाया जाए, तो क्या पाकिस्तान में हिंदू टैक्स नहीं देते हैं? हम भी इस देश में करदाता हैं, अरबों रुपये राष्ट्र के लिए जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 70 सालों से पाकिस्तान की सरकारों ने मंदिर के लिए एक भी पैसा खर्च नहीं किया है। पाकिस्तान इस्लामिक देश है तो यूएई भी इस्लामिक राज्य है, जब वहां मंदिर बन सकता है तो पाकिस्तान में क्यों नहीं?

बता दें कि पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है, जहां कई नामी मुस्लिम मौलवी हमेशा मंदिर निर्माण का विरोध करते रहते हैं। हिन्दू मंदिर निर्माण को लेकर यहां खासा विवाद और हिंसा की वारदातें होती रही हैं।

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