
देश में बेरोजगारी की समस्या से युवा बड़े स्तर पर प्रभावित हो रहे हैं और महंगाई से जनता की कमर वैसे ही टूटती जा रही है। अब मोदी सरकार ने कृषि विधेयक लाकर कृषि क्षेत्र के लोगों का भी बैठे-बैठे विरोध मोल ले लिया है। बता दें कि हरियाणा की पावन भूमि कुरुक्षेत्र में इस विधेयक का विरोध कर रहे किसानों पर हरियाणा पुलिस ने लाठीचार्ज करते हुए किसानों के विरोध की आग में घी डालने का काम किया था। जिससे आक्रोशित किसानों ने दिल्ली पहुंच कर अनशन करने की योजना बनाई थी किन्तु दिल्ली पहुंचने से पहले ही यूपी, हरियाणा बार्डर पर इन किसानों को रोक दिया गया। अब किसानों से जुड़े अध्यादेशों और कानून के विरोध में मोदी सरकार की कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल मोदी सरकार में अकाली दल की एकमात्र प्रतिनिधि थीं। पंजाब की अकाली दल, बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी है।
I have resigned from Union Cabinet in protest against anti-farmer ordinances and legislation. Proud to stand with farmers as their daughter & sister.
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) September 17, 2020
हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुए लिखा कि- “मैंने किसान विरोधी अध्यादेश और कानून के विरोध में केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। मुझे गर्व है कि मैं किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन की तरह खड़ी हूं।” इससे पहले शिरोमणी अकाली दल के सांसद और पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने लोकसभा में हरसिमरत के इस्तीफा देने की बात कही थी। शिरोमणी अकाली दल लगातार कृषि संबंधी विधेयकों का विरोध कर रही है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने सोमवार को कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक, किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन समझौता विधेयक और कृषि सेवा अध्यादेश और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक पेश किए। ये विधेयक अध्यादेशों का स्थान लेने के लिए पेश किए गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अकाली दल की नेत्री और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर बादल (फाइल फोटो)
शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने कहा, ‘शिरोमणि अकाली दल किसानों की पार्टी है और वह कृषि संबंधी इन विधेयकों का विरोध करती है।’ बादल ने कहा, ‘हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथी हैं। हमने सरकार को किसानों की भावना बताई, हमने इस विषय को हर मंच पर उठाया। हमने प्रयास किया कि किसानों की आशंकाएं दूर हों लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।’
गौरतलब है कि इस कृषि विधेयक का लोकसभा में कांग्रेस के अलावा दूसरे विपक्षी दलों ने भी विरोध किया है। कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने कृषि उपज एवं कीमत आश्वासन संबंधी विधेयकों को ‘किसान विरोधी’ करार देते हुए गुरुवार को लोकसभा में आरोप लगाया कि इन विधेयकों से जमाखोरी, कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा तथा उद्योगपतियों एवं बिचौलियों को फायदा होगा जबकि किसान बर्बाद हो जाएंगे। वहीं, भाजपा ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत, स्वावलंबी भारत बनाने के लिए यह कानून बन रहा है जो ऐतिहासिक साबित होगा। ये विधेयक कृषि क्षेत्र में सुधार के लिये महत्वपूर्ण कदम हैं जो किसानों को मजबूत और समृद्ध बनाएंगे।