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अब सांसदों की कटेगी 30% सैलरी, पीएम मोदी के नेतृत्व में लोकसभा में विधेयक हुआ पास

वैश्विक स्तर पर फैली कोविड-19 गंभीर बीमारी ने लोगों को शारीरिक रूप से बीमार करने के साथ उनकी जेब पर भी आघात पहुंचाया है। शायद ही ऐसा कोई देश होगा जहां की अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी से प्रभावित ना हुई हो। भारत की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस ने इतनी गहरी चोट पहुंचाई है कि केंद्र सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार 2020-21 वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच विकास दर में 23.9 फ़ीसद की गिरावट दर्ज की गई है। इस संकट से उबरने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने फिलहाल के लिए अनावश्यक खर्चों में कटौती करना शुरू कर दिया है। जिसके तहत केंद्र सरकार ने सांसदों के वेतन भत्ते में 30 प्रतिशत की कटौती करने का बिल लोकसभा में पास कर दिया गया है।
Lok Sabha passes the Salary, Allowances and Pension of Members of Parliament (Amendment) Bill, 2020
— ANI (@ANI) September 15, 2020
लोकसभा ने सांसदों के वेतन में एक वर्ष के लिये 30 प्रतिशत कटौती करने के प्रावधान वाले एक विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। इसके अलावा प्रत्येक सांसदों को हर साल 5 करोड़ रुपये उनके सांसद निधि के तहत मिलता है जो अब 2 साल के लिए स्थगित कर दी गई है। जानकारी के मुताबिक, इस धनराशि का उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से मुकाबला करने के लिए किया जाएगा। निचले सदन में संक्षिप्त चर्चा के बाद ‘संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020’ को मंजूरी दे दी गई है। यह विधेयक इससे संबंधित संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेंशन अध्यादेश 2020 के स्थान पर लाया गया है।
भारतीय संसद भवन (फाइल फोटो)
बता दें कि संसद के दोनों सदनों में 790 सांसदों (लोकसभा के 545 और राज्यसभा के 245 सांसद) की व्यवस्था है। वर्तमान समय में लोकसभा में 542 और राज्यसभा में 238 सांसद सदस्य हैं। इस तरह से संसद में 780 सांसद हैं और प्रत्येक सांसदों की सैलरी से अब 30 हजार रुपये कटेंगे और इस तरह से हर महीने 2 करोड़ 34 लाख रुपये की बचत होगी। इसके अलावा प्रत्येक सांसदों को हर साल 5 करोड़ रुपये उनके सांसद निधि के तहत मिलता है जो अब 2 साल के लिए स्थगित कर दी गई है।
इस सत्र में संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेंशन अधिनियम 1954 में संशोधन किया गया है। कोरोना वायरस महामारी के बीच इस अध्यादेश को 6 अप्रैल को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी और यह 7 अप्रैल को लागू हुआ था। लोकसभा में इस बिल पर चर्चा में भाग लेते हुए अधिकतर विपक्षी सदस्यों ने कहा कि कोरोना काल में सांसदों के वेतन में कटौती से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सरकार को सांसद निधि के निलंबन पर पुनर्विचार करना चाहिए। संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने निचले सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। यह कदम उनमें से एक है।
Have introduced 'The Salary, Allowances and Pension of Members of Parliament (Amendment) Bill, 2020' in the Lok Sabha today, paving the way for reduction in salaries of MPs by 30%, for next 1 year.#MonsoonSession2020 @PMOIndia @arjunrammeghwal @VMBJP pic.twitter.com/q27uMhwuRi
— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) September 14, 2020
उन्होंने कहा कि परोपकार की शुरूआत घर से होती है, ऐसे में संसद के सदस्य यह योगदान दे रहे हैं और यह छोटी या बड़ी राशि का सवाल नहीं है बल्कि भावना का है। जोशी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा आती है तब एक विशिष्ट क्षेत्र को प्रभावित करती है, युद्ध दो देशों की सीमाओं को प्रभावित करता है। लेकिन कोविड-19 ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है, दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 20 लाख करोड़ रूपये के पैकेज के साथ ही 1.76 लाख करोड़ रूपये की गरीब कल्याण योजना की शुरूआत की।
उन्होंने कहा कि सांसद निधि का अधिकतर पैसा गांवों, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लिए खर्च होता है और ऐसे में यह निधि निलंबित करके सरकार इनके खिलाफ काम कर रही है। कांग्रेस के ही डीन कुरियाकोस ने कहा कि सरकार को सांसद निधि निलंबित करने के बजाय धन जुटाने के लिए दूसरे साधनों पर विचार करना चाहिए था। भाजपा के विजय बघेल ने कहा कि कोरोना महामारी के समय सभी सांसदों ने अपने क्षेत्रों के लिए काम किया और अब उन्हें इस विधेयक का समर्थन करके भी अपना योगदान देना चाहिए।