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बिहार के एकमात्र ‘नालंदा ओपन विश्वविद्यालय’ की मान्यता पड़ी ख़तरे में, नीतीश सरकार ने तय मानकों के अनुरूप नहीं दी जमीन

देश में नई शिक्षा नीति की चर्चा जोरों पर चल रही है। इसके पक्ष और बाधाओं को लेकर सुझावों पर खुलकर बात की जा रही है। वहीं बिहार राज्य में एकमात्र नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी की मान्यता को लेकर कुछ बाधाएं देखने को मिल रही है जिससे बिहार में इस विश्वविद्यालय के बनने के प्रयास असफल हो सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, उत्पन्न अवरोध के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया जा रहा है वहीं बिहार सरकार शिक्षा विभाग पर को दोषी करार दे रही है।
बता दें कि बिहार की राजधानी पटना स्थित नालंदा खुला विश्वविद्यालय (एनओयू) को जमीन नहीं मिलने के चलते इसकी मान्यता खतरे में पड़ सकती है। बेशक शुरुआत में राज्य सरकार ने 10 एकड़ जमीन एलॉट किया है, लेकिन अब राज्य सरकार ने अतिरिक्त जमीन देने से साफ इनकार कर दिया है। इस संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा भेजा गया पत्र विश्वविद्यालय को प्राप्त हुआ है। प्रदेश सरकार की इस असमर्थता के बाद विश्वविद्यालय की मान्यता खतरे में पड़ सकती है। बताया जा रहा है कि पत्रचार जारी है।
गौरतलब है कि किसी भी दूर शिक्षा संस्थान के लिए 40 एकड़ में निर्माण होना अनिवार्य होता है। इधर, नालंदा खुला विश्वविद्यालय द्वारा अतिरिक्त 30 एकड़ की जमीन की मांग जब की गई तो शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखकर कहा है कि प्रावधानों के अनुरूप 10 एकड़ से अधिक जमीन का आवंटन नहीं हो सकता है। शिक्षा विभाग ने अपने पत्र में बिहार स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटीज एक्ट 2013 का हवाला देते हुए कहा है कि इस प्रावधान के अनुरूप ही जमीन का आवंटन किया गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई है क्योंकि जिस एक्ट का हवाला शिक्षा विभाग द्वारा दिया गया है, वो सिर्फ प्राइवेट विश्वविद्यालयों के लिए है। जबकि नालंदा खुला विश्वविद्यालय प्राइवेट विश्वविद्यालय ना होकर बिहार सरकार द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय है।
इस पूरे मामले पर नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. संजय कुमार ने बताया कि पहले से जो 10 एकड़ की जमीन का आवंटन किया गया है। इस पर काम शुरू हो गया है। सबसे पहले प्रशासनिक भवन बनाया जा रहा है। कई बार विश्वविद्यालय की टीम साइट पर भ्रमण भी कर चुकी है। उन्होंने बताया कि नालंदा खुला विश्वविद्यालय की स्थापना ही नालंदा खुला विवि एक्ट के तहत 1987 में हुई थी। इसलिए यह कहीं से प्राइवेट विश्वविद्यालय नहीं है।
नालंदा खुला विश्वविद्यालय बिहार राज्य का अकेला ऐसा विश्वविद्यालय है, जिसमें दूर शिक्षा के माध्यम से सवा लाख से अधिक विद्यार्थी शामिल हैं। नालंदा खुला विश्वविद्यालय की स्थापना के वक्त ही तय था कि इसकी स्थापना नालंदा जिले में होगी, जिसके लिए प्रयास तो सालों से चल रहा है। हालांकि, कुछ समय पहले ही ये प्रयास जमीन पर देखने को मिल रहे हैं।