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गुरुग्राम की ‘पौधे वाली दीदी’ प्रतिवर्ष बांटती हैं  निशुल्क पौधे।

“पर्यावरण की रक्षा, मानवता की सुरक्षा” इसी भाव से प्रकृति की सेवा कर रहीं योग साधक रेखा खन्ना।

सायबर सिटी गुरुग्राम में रहने वाली रेखा यूं तो योगा चार्य के रुप में जानी जातीं है लेकिन उनकी एक पहचान ‘प्रकृति प्रेमी पौधे वाली दीदी’ के रुप में भी है। इसका कारण यह है कि वह पिछ्ले कई वर्षों से हर वर्ष 500 से 600 पौधे तैयार करतीं हैं और उन पौधों को निशुल्क रुप से प्रकृति प्रेमियों को वितरित करती हैं।

इसकी जानकारी लोगों को तब लगी जब माय होम इंडिया ने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया और उनके नेक कार्य की सराहना की ।

इस ट्वीट को गुरुग्राम में जमकर सराहा गया, वहीं गुरुग्राम की IAS ने भी ट्वीट रिट्वीट करते हुए उनके काम की तारीफ की।

बता दें कि रेखा ये पौधे घरेलु खाद से तैयार होते हैं जो अन्य पौधों की तुलना में सेहत मंद होते हैं। रेखा ने अपने प्रयास से घर की छत पर रखे गमलों में सब्जियां भी लगाई हैं जिनका सकारात्मक परिणाम उन्हें मिला।

रेखा अपने प्रकृति-प्रेम के बारे में बताती हैं कि उन्हें पौधों से प्रेम बचपन से ही था और समय के साथ साथ ये प्रेम बढ़ता गया।


सन २००२ में उन्होंने इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स किया और एक आर्किटेक्चर कंपनी में डिज़ाइनर के तौर पे काम करना शुरू किया । लेकिन जब उन्हें वहां लैंडस्केपिंग के बारे में पता चला तो उन्होंनें तय कर लिया कि उन्हें पौधों के साथ जुड़ना है इसलिए बिना किसी ट्रेनिंग के एक असिस्टेंट के तौर पर उन्होंने अपने बॉस को ही अपना गुरु माना लिया और २ साल लैंडस्केपिंग डिजाइनिंग सीखी और फिर पौधों की सेवा करना शुरु कर दी।

रेखा अपने पौधारोपण की प्रक्रिया के बारे में बतातीं है कि वह बाजार से उन्नत किस्म के बीज लाती है फिर उन बीज से पौधे तैयार करती हैं।  इसके बाद इन पौधों के बीज को संभालकर रख वह नई पौध भी तैयार करने का काम करतीं हैं।

इसके साथ ही खाद के रूप में शुरू में वर्मी कम्पोस्ट या नीम की खाद देती थी , लेकिन समय के साथ उन्होंने खाद घर में ही बनाना शुरू कर दिया। इसके लिये वह हरी सब्जियां, उनके छिलके , उबले हुए अण्डों के छिलकों पर निर्भर करतीं है।

वहीँ केले के छिलके और चायपत्ती एक साथ मिक्सर में पेस्ट कर  पौधों में डालने का भी काम करती हैं।

रेखा को अपने प्रकृति प्रेम के कारण विशेष पहचान मिली और कई संस्थाएं उनके दवारा तैयार किये गए पौधे लेने के लिये उनके पास आते हैं। वहीं वह बुजुर्गों  और बच्चों को भी वह पौधारोपण के लिये प्रेरित करती हैं।

समय भारत की ये रिपोर्ट आपको पसंद आयी है तो इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें और लोगों को पर्यावरण के लिये जागरूक करें।

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