Breaking NewsTop Newsदेशनई दिल्लीबिहारराजनीतिवायरलसाहित्यसोशल मीडिया
प्रशिक्षण के दौरान आयुष मंत्रालय के सचिव ने कहा, ‘जो प्रतिभागी हिंदी नहीं बोलते वे छोड़कर जा सकते हैं, विवाद शुरू

कहा जाता है कि भारत विविधताओं से भरा हुआ एक देश है। जहां विभिन्न धर्म, जाति, संस्कृति, भाषा , रंग-रूप इत्यादि होते हुए भी भारत एक है। किंतु नई शिक्षा नीति के बाद एक बार फिर ‘भाषाई आधार पर भेदभाव’ का मुद्दा देश में ज्वलंत हो गया है जिसमें दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में हिन्दी भाषा की स्वीकार्यता को लेकर असहमति देखी जा रही है। जानकारी के मुताबिक, एक वर्चुअल प्रशिक्षण सत्र के दौरान आयुष मंत्रालय के आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि जो प्रतिभागी हिंदी नहीं बोलते वे सत्र छोड़कर जा सकते हैं, क्योंकि वह बहुत अच्छी तरह से अंग्रेजी नहीं बोल सकते थे। उनके इस बयान की तमिलनाडु के नेताओं ने तीखी आलोचना करते हुए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
गौरतलब है कि 18 अगस्त से 20 अगस्त के बीच योग के मास्टर ट्रेनर्स के लिए आयुष मंत्रालय और मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय प्रशिक्षण सत्र में आयुष सचिव कोटेचा ने कहा था कि जो प्रतिभागी हिंदी नहीं जानते हैं वे बैठक छोड़कर जा सकते हैं।
தமிழக இயற்கை மருத்துவர்களிடம் அநாகரிகமாக நடந்துகொண்ட @moayush செயலாளர் @vaidyakotecha மீது நடவடிக்கை தேவை!
பா.ஜ.க. அரசின் #HindiImposition எண்ணத்தை வெளிப்படுத்தும் இதுபோன்ற சம்பவங்கள் இனி நிகழாது என்பதை @PMOIndia உறுதி செய்திடுக!@CMOTamilNadu அழுத்தம் தந்திடுக! pic.twitter.com/9zoAEvnVNf
— M.K.Stalin (@mkstalin) August 22, 2020
डीएमके के प्रमुख एमके स्टालिन ने आरोप लगाया कि इस प्रकरण ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के अधिकारियों के जरिये हिंदी थोपने के एजेंडा का पर्दाफाश हो गया है। स्टालिन ने कहा कि आयुष सचिव राजेश कोटेचा ने ‘हिंदी को लेकर अहंकार और आक्रामकता भरा व्यवहार दिखाते हुए योग और प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े 37 पेशेवरों को धमकाते हुए कहा कि अगर वे हिंदी नहीं जानते हैं तो ऑनलाइन प्रशिक्षण सत्र छोड़कर चले जाएं।’ स्टालिन ने शनिवार को कहा, ‘यह शर्मनाक है कि सचिव स्तर के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने भाषायी पूर्वाग्रह से प्रेरित होकर ऐसा असभ्य व्यवहार किया।’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि ऐसी घटना फिर न हो और मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी से कहा कि वह मोदी सरकार पर दबाव डालें कि केंद्र सरकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम और बैठकें सिर्फ अंग्रेजी में ही हों। उन्होंने आरोप लगाया, ‘केंद्र की भाजपा सरकार हिंदी को अपना पहला एजेंडा रखकर लगातार काम कर रही है और अन्य भाषाओं, खासकर तमिल को हाशिये पर डालने की कोशिश कर रही है।’
My letter to the Honorable Union Minister @shripadynaik on the reported hindi imposition.#StopHindiImposition pic.twitter.com/Wzlib2f9fl
— Kanimozhi (கனிமொழி) (@KanimozhiDMK) August 22, 2020
वहीं, डीएमके सांसद कनिमोझी ने शनिवार को कोटेचा के निलंबन की मांग की और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग की। उन्होंने आयुष मंत्री श्रीपद नाइक को पत्र लिखकर मामले में जांच की भी मांग की है. कटाक्ष करते हुए कनिमोझी ने ट्वीट कर कहा कि आयुष सचिव का बयान हिंदी वर्चस्व थोपे जाने को दर्शाता है।
AYUSH training in Hindi ignores Tamil Nadu delegates – The Hindu https://t.co/gE52LTUlGZ Not knowing English is understandable, but this arrogance of asking those who don’t know Hindi to leave and insisting on speaking in Hindi is totally unacceptable. #StopHindiImposition
— Karti P Chidambaram (@KartiPC) August 22, 2020
इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा, ‘हिंदी में आयुष प्रशिक्षण तमिलनाडु प्रतिनिधियों की उपेक्षा करता है। अंग्रेजी न जानना समझ में आता है लेकिन हिंदी न जानने वालों से छोड़कर जाने के लिए कहने का अहंकार और हिंदी में बोलने के लिए मजबूर करना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।’
‘मक्कल नीधि मय्यम’ के प्रमुख और अभिनेता कमल हासन ने भी ट्विट करते हुए लिखा कि यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह इस तरीके से काम करे, जो सभी की समझ में आए।उन्होंने कहा, ‘यह इन (तमिल) डॉक्टरों की उदारता है कि वे इन आयुष मंत्रालय के अधिकारियों पर सवाल नहीं उठाते हैं कि वे तमिल को समझे बिना हमारी दवा को कैसे समझ सकते हैं। यह सरकार का कर्तव्य है कि वह ऐसी भाषा में काम करे जिसे हर कोई समझ सके। यह हिंदी सरकार नहीं है। यह मत भूलो कि यह भारत सरकार है।’
भाषाई आधार पर विवाद बढ़ने के बाद सचिव कोटेचा ने कहा है कि प्राकृतिक चिकित्सकों के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रशिक्षण सत्र में कुछ बिन बुलाए प्रतिभागियों द्वारा हंगामा किया गया। ‘हमने योग के लिए एक राष्ट्रव्यापी प्रशिक्षण कार्यक्रम की व्यवस्था की और विभिन्न राज्य सरकारों के 350 लोगों के भाग लेने की उम्मीद थी। कुछ 60 से 70 अतिरिक्त लोग जो अपेक्षित नहीं थे, वे भी आए। जैसे ही मैंने बोलना शुरू किया, वे परेशान होने लगे और चिल्लाने लगे। वे अंदर आए और सब कुछ हंगामा करना चाहते थे।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने कहा मैं हिंदी और अंग्रेजी दोनों में बोल रहा हूं क्योंकि उत्तर भारतीय प्रतिभागियों से मुझे संदेश मिले कि मैं हिंदी में बोलूं। इसलिए इन गुंडों ने केवल अंग्रेजी, केवल अंग्रेजी चिल्लाना शुरू कर दिया। लेकिन मैंने कहा कि नहीं मैं दोनों भाषाओं में बात करूंगा। वे सुनने को तैयार नहीं थे। इस तरह का मैनिपुलेशन किया गया।’ उन्होंने दावा किया कि वीडियो का एक खास हिस्सा ऑनलाइन प्रसारित किया गया और विवाद पैदा किया गया। कुछ निहित स्वार्थों को इसमें शामिल किया गया और उनके द्वारा इसमें हेरफेर किया गया।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि यह हिंदी थोपने के आरोपों को बढ़ावा देने के लिए विवादित बनाया जा रहा है, कोटेचा ने जवाब दिया कि कुछ समूह ने वीडियो का एक हिस्सा वायरल करते हुए इस मुद्दे में हेरफेर किया है।
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में कनिमोझी ने कहा था कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के एक कर्मी ने उनके हिंदी नहीं बोल पाने पर पूछा था क्या वह भारतीय हैं? दरअसल, कनिमोझी ने महिला अधिकारी से तमिल या अंग्रेजी में बात करने का अनुरोध किया था। इस घटना के बाद सीआईएसएफ ने जानकारी मांगी थी और मामले में जांच का आदेश दिया था।