
हरियाणा के शहर गोहाना के रहने वाले आकाश मेहता ने मात्र 25 वर्ष की आयु में वर्ल्ड बैंक में नियुक्ति प्राप्त करते हुए इतिहास रच दिया है। जानकारी के मुताबिक, उनकी नियुक्ति एनवायरमेंट एनालिस्ट के तौर पर हुई है। फिलहाल आकाश मेहता कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में कोविड-19 के डाटा पर रिसर्च कर रहे हैं। नई नियुक्ति पर आकाश मेहता और उनके परिवार के सदस्यों ने खुशी जाहिर की है।
आकाश मेहता का कहना है कि अभी वे कोरोना-19 पर रिसर्च कर रहे हैं। वर्ल्ड बैंक में विभिन्न देशों के पर्यावरण पर अध्ययन करने का अवसर मिलेगा। कार्य करने के दौरान वहां की व्यवस्था समझने का भी अवसर मिलेगा। इससे भारत में लौटने पर वहां की समस्याओं को समझने और उनके समाधान के लिए कार्य करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि उनके पिता सुनील मेहता और मां नीलम मेहता हमेशा लोगों की मदद की है। जो शिक्षा उन्होंने दी है, उस पर चलते हुए लोगों की मदद करना ही उनका लक्ष्य रहेगा।
अपने पिता सुनील मेहता के साथ अशोक मेहता (फोटो:अशोका मेहता की फेसबुक वॉल से साभार)
आकाश मेहता के पिता सुनील मेहता व्यवसायी है। मेहता के अनुसार परिवार का पहला सदस्य इतने ऊंचे पद पर पहुंचा है। यह आकाश की अपनी मेहनत है। बचपन से ही वर्ल्ड बैंक में कार्य करना चाहता था। इसलिए इंजीनियरिंग की बजाए श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, दिल्ली में दाखिला लिया और वहां से इकोनॉमिक्स में ऑनर्स की। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान आकाश मेहता बेहद मिलनसार एवं एक्टिव छात्र रहे हैं। इसके बाद लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी पढ़ाई की। दो साल तक सरकारी सेवाएं भी दी। पिछले वर्ष रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुम्बई कार्यालय में रिसर्च एनालिस्ट के रूप में कार्य किया। वर्ल्ड बैंक की सचिव क्रेग हैमर ने इंटर्नशिप के लिए चयन किया था। इस दौरान आकाश ने अच्छा प्रदर्शन किया। अब उनकी नियुक्ति वर्ल्ड बैंक में हुई हैं। वह इस माह के अंत तक ज्वाइन करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ कार्यक्रम में आकाश मेहता (फोटो:अशोका मेहता की फेसबुक वॉल से साभार)
आकाश मेहता ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा है कि लक्ष्य हमेशा बड़ा रखें। लक्ष्य प्राप्त करने में समय लग सकता है। संयम रखते हुए निरंतर प्रयास करते रहें, निश्चित रूप से लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे। वहीं, यदि लक्ष्य छोटा निर्धारित करेंगे तो कभी बड़ा नहीं बन सकते। उन्होंने कहा कि बचपन में ही वर्ल्ड बैंक के बारे में सुना था। वहां पहुंचने का लक्ष्य रखा था और आज सफल भी हो गया।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले भारत के ओडिशा के गंजाम जिले के एक गांव खरिया की बेटी अर्चना सोरेंग ने अपनी मेहनत के बलबूते पर संयुक्त राष्ट्र संघ में कदम रखते हुए इतिहास रचा है। अर्चना सोरेंग एक आदिवासी लड़की है जिसे यू०एन०ओ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अपने सलाहकार समूह में शामिल किया है। अब यह समूह क्लाइमेट चेंज पर दुनियाभर के लिए काम करेगा।