
बेशक कोरोना वायरस के चलते देश में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय उड़ानें प्रभावित हो रही हैं किन्तु जयपुर एयरपोर्ट को मोदी सरकार ने 50 साल के लिए अडानी ग्रुप को सौंप दिया है। बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय कैबिनेट की हुई बैठक में जयपुर हवाई अड्डे के निजीकरण को मंजूरी दी गई। जयपुर के अलावा बुधवार को गुवाहाटी और त्रिवेंद्रम हवाई अड्डे को भी निजी हाथों में सौंपने पर केंद्र सरकार ने मुहर लगा दी है। बता दें कि इससे पहले 3 अन्य हवाई अड्डे अहमदाबाद, लखनऊ और मंगलुरू को भी अडानी समूह को सौंपने का फैसला केंद्रीय कैबिनेट करीब सालभर पहले ही कर चुकी थी।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इससे सरकार को तुरंत 1,070 करोड़ रुपए दिए जाएंगे।
गौरतलब है कि अडानी समूह को जयपुर एयरपोर्ट का संचालन अगले 50 साल के लिए सौंपा जा रहा है। फरवरी 2019 में हुई निविदा में अडानी समूह ने सभी 6 एयरपोर्ट के लिए सबसे ज्यादा बोली लगाई थी। जयपुर एयरपोर्ट के लिए अडानी समूह एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को घरेलू यात्री के लिए 174 रुपए प्रति यात्री और अंतरराष्ट्रीय यात्री के लिए 348 रुपए प्रति यात्री का भुगतान करेगा।
बता दें कि जयपुर हवाई अड्डे के निजीकरण में राज्य सरकार की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया है। पिछले साल निजीकरण की कवायद शुरू होने पर राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखते हुए आपत्ति जताई थी कि जब एयरपोर्ट के लिए भूमि का आवंटन राज्य सरकार ने निशुल्क किया था, तो ऐसे में निजीकरण से पहले राज्य सरकार की मंजूरी क्यों नहीं ली गई।
जानकारी के मुताबिक, एयरपोर्ट बिल्डिंग का संचालन पूरी तरह से निजी कंपनी के हाथों में रहेगा। यात्रियों के लिए एयरपोर्ट पर पार्किंग, बिल्डिंग के अंदर सभी दुकानों का संचालन निजी कंपनी ही करेगी। एयरलाइंस के साथ समन्वय, एप्रन क्षेत्र में ग्राउंड हैंडलिंग से संबंधित सभी कार्य भी निजी कंपनी करेगी। एयरपोर्ट बिल्डिंग और रनवे क्षेत्र में सुरक्षा का कार्य सीआईएसएफ संभालती रहेगी। एयरपोर्ट पर चिकित्सा, अग्निशमन व्यवस्था भी निजी कंपनी ही संभालेगी। वहीं एयर ट्रैफिक कंट्रोल का कार्य एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा किया जाएगा। एयरपोर्ट अथॉरिटी के एयरपोर्ट निदेशक सहित करीब 125 कर्मचारी एयरपोर्ट पर नहीं रह सकेंगे। अपनी मर्जी से कर्मचारी निजी कंपनी के साथ जुड़ सकते हैं या एयरपोर्ट अथॉरिटी के किसी दूसरे एयरपोर्ट पर तबादला करवा सकते हैं। बता दें कि एयरपोर्ट के निजीकरण से हर चीज के लिए अलग से शुल्क देना होगा और कंपनी दुकानों का किराया भी बढ़ाएगी तो भार यात्रियों की जेब पर ही आएगा।
वर्तमान समय में देश में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास अभी भी 100 से ज्यादा एयरपोर्ट हैं। 90 से ज्यादा एयरपोर्ट घाटे में चल रहे हैं।