Breaking NewsTop NewsWorldदेशनई दिल्लीवायरलविदेशसोशल मीडिया
भारत की आदिवासी लड़की अब संयुक्त राष्ट्र संघ में बनेगी सलाहकार, उपराष्ट्रपति ने किया ट्विट

बेटियां अब कठिन परिश्रम से अपने माता-पिता का ही नहीं बल्कि भारत देश का भी नाम रोशन कर रही हैं। ओडिशा के गंजाम जिले की असिका तहसील के अंतर्गत आने वाले एक गांव खरिया की बेटी अर्चना सोरेंग ने अपनी मेहनत के बलबूते पर संयुक्त राष्ट्र संघ में कदम रखते हुए इतिहास रच दिया है। बता दें कि अर्चना सोरेंग एक आदिवासी लड़की है और कठिन परिश्रम करते हुए आज इस मुकाम तक पहुंची है जहां तक पहुंचने के लिए देश के लाखों छात्र-छात्राएं सपना देखते रहते हैं। अर्चना सोरेंग को यू०एन०ओ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अपने सलाहकार समूह में शामिल किया है। अब यह समूह क्लाइमेट चेंज पर दुनियाभर के लिए काम करेगा।
आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली अर्चना सोरेंग का गांव खरिया जनजातीय बाहुल्य है। जानकारी के मुताबिक, अर्चना सोरेंग को पर्यावरण की देखरेख का काम विरासत में मिला हुआ है। इनके परिवार की कई पीढ़ियों की पर्यावरण से दोस्ती है। अर्चना भी अपने पुरखों के इस काम को आगे बढ़ा रही है। यही वजह है कि अर्चना ने छोटे से गांव से सफर शुरू करते हुए यू०एन०ओ में जगह बनाई है। अर्चना सोरेंग ने पटना वूमेंस कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की है। इसके बाद मुंबई के टीआईएसएस से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान अर्चना छात्रसंघ की अध्यक्षा भी रहीं। बता दें कि उन्होंने वकालत की पढ़ाई भी की हुई है।
Hearty congratulations to Ms.Archana Soreng belonging to the Khadia tribe of Sundergarh District, #Odisha for being selected by the @UN as one of the seven members of the Youth Advisory Group on #ClimateChange as a part of the UN #youth strategy. #UnitedNations pic.twitter.com/kluJk0M684
— Vice President of India (@VPSecretariat) July 29, 2020
जलवायु परिवर्तन पर काम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के सलाहकार के रूप में जिस 7 सदस्ययी युवा सलाहकार समूह का चयन हुआ है। उसमें ओडिशा से अर्चना सोरेंग को भी शामिल किया गया है। इस समूह का काम दुनिया के पर्यावरण विषयों पर सलाह और समाधान देना होगा। समूह के सदस्य सभी क्षेत्रों के साथ-साथ छोटे द्वीप राज्यों के युवाओं की विविध आवाजों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।
यू०एन०ओ के साथ काम करने का मौका मिलने पर अर्चना सोरेंग की खुशी का ठिकाना नहीं है। ये कहती हैं कि ‘हमारे पूर्वज अपने पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं के माध्यम से सदियों से जंगल और प्रकृति की रक्षा करते आ रहे हैं। अब हम सभी पर ये दायित्व आता है कि जलवायु संकट का मुकाबला करने में सबसे आगे हम हों। बता दें कि अर्चना भारतीय कैथोलिक युवा आंदोलन की एक सक्रिय सदस्य भी हैं। अपने समुदायों के पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं को संरक्षित करने और छोटे-छोटे प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी युवा समूहों के साथ भी काम कर रही हैं।