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राम मंदिर के शिलान्यास पर युवा कवि दास आरुहि आनंद का भावुक कर देने वाला लेख

जिस दिन राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था, तब ये फोटो काफी वायरल हुई थी । मैने इस तस्वीर को उस दिन देखते ही सेव कर लिया था। पता नही क्यो पर इस चित्र को देखते ही आँखें सजल हो जाती हैं, धडकने तेज तेज चलने लगती हैं और मन स्वतः ही उन पुरखो के बारे मे सोचता हैं जिन्होंने राम जन्मभूमि के आंदोलन के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। वो आँखे रह रहकर याद आती हैं जो इस सपने को देखते देखते खुलती थी और इसे देखते देखते ही बंद हो गई। याद आते हैं अपने घर के वो चिराग जो इस आंदोलन मे पूर्णाहुत हो गए, याद आती हैं वो औरते जिनके सुहाग इस आंदोलन मे रक्त रंजीत हो गए। उन सब राम दिवानो के बारे मे सोच सोच कर रोंगटे खड़े होते हैं…कितने महान होंगे वे लोग,क्या अद्भुत ज्वाला जलती होगी उनके अंतःकरण मे…५ अगस्त का ये दिन आम दिन नही हैं।
ये दिन सैकड़ो सालो के संघर्षो का प्राप्त फल है। इस दिन को देखने के लिए नजाने कितने लोगो ने व्रत करे, कितनी गाँवो ने पगडीयाँ नही पहनी, जूते नही पहने। समझ नही आता क्या लिखना है…न गद्य लिख पा रहा हूँ ना पद्य। बस आँखो मे आँसू आते है…मौन और गहरा हो जाता है…कोई भी लेख ,कोई भी कविता कल के दिन को स्वयं मे नही समेट सकती…कल मेरे राम लला के मंदिर का शिलान्यास होगा….उन हजारों पुरखो का तर्पण होगा…जो गोलियां खाते रहे , राम नाम गाते रहे पर रुके नही ,झुके नही। कल का दिन किसी को चिढाने का नही अपना जीवन बनाने का दिन है ,उस अद्भुत दृश्य को इन आँखो मे बसाने का दिन है। आइए दोस्तों कल के दिवस को महोत्सव मे बदलते है….पूरे भारत को राममय बनाते है…अपने अंतःकरण को राम की मर्यादा से सुशोभित करते हैं…आइए…जय श्री राम का उद्घोष करते हैं और नमन करते हैं उन बुजुर्गो को जिनके कारण हम ये पवित्र दिन देख पा रहे हैं।
जय श्री राम।
( लेखक प्रसिद्द कवि और विचारक हैं )