
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में डॉक्टर व नर्सों की लापरवाही का एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मिनकापल्ली की प्रसव पीढ़ा से तड़पती गर्भवती महिला को उसके परिजनों ने उसे मजबूरी में भोजन पकाने के बर्तन में बिठा करनकर पार कराकर जैसे तैसे भोपालपट्टनम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया है। लेकिन परिजनों के बताए अनुसार, अस्पताल में डॉक्टर व नर्सों ने लापरवाही बरती। समय पर गर्भवती महिला की डिलीवरी नहीं कराई गई जिससे बच्चा बच नहीं पाया। परिजनों ने बताया कि पहले डॉक्टर व नर्स बच्चे की ठीक होने की बात करते रहे और बाद में नर्स ने बताया कि बच्चा गर्भ में ही मर चुका है। ये सुनते ही परिवार की खुशियां मातम में बदल गई।
Chhattisgarh: Pregnant woman crossed river in a utensil, with her family's help in Bijapur's Gorla, to go to hospital 15 km away on the other side on 14th July. Family did this in absence of road/bridge. Woman later gave birth to stillborn child, family alleges medical negligence pic.twitter.com/UG06E8PWXc
— ANI (@ANI) July 23, 2020
बीजापुर के इस मामले को लेकर महिला के परिजनों ने डॉक्टर्स और स्टाफ नर्स पर लापरवाही बरतने और बच्चे की मौत के लिए जिम्मेदार बताया है। उन्होंने ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर को लिखित शिकायत देकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। जिस पर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर ने संबंधित आरोपियों को नोटिस जारी किया है। मिनकापल्ली निवासी हरीश यालम की पत्नी लक्ष्मी यालम गर्भधारण के बाद अपने मायके मीनुर चली गई है।
We took her to a hospital 15 km away. The next day she began experiencing labour pain. Doctor & nurse said it is not yet the time. Later they left after their shifts. The next shift came several hours later & called up doctor. She delivered a stillborn child: Sister of the woman pic.twitter.com/uLqW2AZ6ck
— ANI (@ANI) July 23, 2020
जानकारी के मुताबिक, 13 जुलाई को प्रसव पीढ़ा बढऩे से जान जोखिम में डालकर परिवार और गांव के लोगों ने भोजन पकाने वाले बड़े बर्तन में बैठाकर गर्भवती महिला को बीजापुर की चिंतावागु नदी पार कराई थी। बारिश के कारण नदी में इन दिनों तेज बहाव है। इसके बावजूद प्रसव पीढ़ा से तड़पती महिला को ग्रामीणों की मदद से नदी पार कराकर गोरला लाया गया। गोरला से भोपालपट्टनम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया।
गर्भवती महिला के पति हरीश के मुताबिक 14 जुलाई की सुबह 8:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक ड्यूटी में तैनात सभी स्वास्थ्य कर्मियों के आने-जाने में ही समय गुजर गया। वहीं दोपहर 3:00 बजे से रात 8:00 बजे तक अस्पताल में ड्यूटी पर स्वास्थ्य कर्मचारी उपस्थित ही नहीं थे। जब रात 8:00 बजे ड्यूटी पर एक नर्स पहुंची तो उस वक्त गर्भवती की स्थिति काफी गंभीर बन चुकी थी। आनन-फानन में डॉक्टरों को फोन लगाया गया। डॉक्टर पहुंचे और गर्भवती महिला का ऑपरेशन कर मृत बच्चे को बाहर निकाला गया।
हालांकि महिला सुरक्षित है। अब हरीश व उसके परिजनों ने बच्चे की मौत के लिए उस वक्त ड्यूटी पर मौजूद डॉ. गोपी किशन और सहयोगी स्टाफ नर्स को जिम्मेदार बताया है। परिजनों के मुताबकि नर्स और डॉक्टर्स डिलीवरी कराने में देरी कर रहे थे। स्टाफ नर्स और स्टाफ लगातार उन्हें जच्चा- बच्चा के स्वास्थ होने की सूचना दे रहे थे। 13 जुलाई को दोपहर 3 बजे की शिफ्ट से स्टाफ नर्स की छुट्टी के बाद नए स्टाफ नर्स को आने में देरी हुई। वहीं प्रसूता की देखभाल भी नियमित नहीं की जा रहा थी तथा डॉक्टर और नर्स जच्चा- बच्चा के स्वस्थ होने की झूठी बात भी कह रहे थे। वहीं रात 8 बजे के करीब गर्भ में ही बच्चे के मरने की खबर दी गई।
शिकायत मिली है आरोपी स्वास्थ्यकर्मियों से जवाब मिलने के बाद करेंगे कार्रवाई
महिला के परिजनों ने लिखित शिकायत डॉ. गोपी किशन और नर्स के खिलाफ की है। परिजनों की शिकायत के आधार पर सभी को शो-काज नोटिस दे दिया गया है। उनके जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई करेंगे।
–डॉ. रामटेके, बीएमओ