
किसी भी राज्य में किसान द्वारा की जाने वाली खुदकुशी से बेशक शासन-प्रशासन के स्तर पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जाता है किन्तु किसान की मूल समस्या और समाधान पर कोई भी नेता, अधिकारी उचित जवाब नहीं दे पाता है। अक्सर किसानों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं के आंकड़ों को लेकर भी गोलमोल जवाब दिया जाता है और कुछ दिनों बाद मीडिया में कोई नया मुद्दा उभर कर आ जाता है । जानकारी के मुताबिक, अब देश में पहली बार पंजाब सरकार प्रदेश में किसानों की खुदकुशी के मामले में आंकड़ों सहित ठोस और सही जानकारी जुटाने के लिए अब खुद इनका सर्वे करवाने की बात कर रही है। इस दौरान पता लगाया जाएगा कि सूबे के विभिन्न गांवों में कितने किसानों ने किन कारणों से खुदकुशी की है। सर्वे में प्रत्येक गांव के पंचों और सरपंचों का सहयोग लेकर उस गांव के किसानों का पूरा ब्यौरा एकत्रित किया जाएगा कि गांव में कितने छोटे और बड़े किसान हैं और सामान्यतः हर सीजन में वह कितनी और कौन-सी फसल का उत्पादन करते हैं और खेती करने के लिए गांव में सभी किसानों के पास संसाधनों की क्या व्यवस्था है। बताया जा रहा है कि किसानों की मूल स्थिति का आकलन करते हुए राज्य सरकार किसानों के लिए योजना भी बनाएगी। सर्वे में यह भी पता किया जाएगा कि आत्महत्या करने वाले किसानों पर बैंक का कर्ज था या नहीं। किसानों पर आढ़तियों, जमींदारों का कर्ज हो या फिर कोई पारिवारिक कारण हो। यह भी पता किया जाएगा कि कहीं
गांव का कोई प्रभावशाली व्यक्ति उस किसान को परेशान तो नहीं कर रहा था। सर्वे में इन सभी कारणों का पता लगाया जाएगा।
किसानों द्वारा की गई खुदकुशी के सही आंकड़े तथा कारण जुटाकर राज्य सरकार एक कमेटी गठित करेगी। जिसमें कृषि विभाग, सहकारिता विभाग, बैंकिंग मामलों के विशेषज्ञ तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी शामिल हाेंगे। यह कमेटी आत्महत्याओं के मूल कारणों का आंकलन करते हुए किसान हितैषी योजनाएं लागू करने पर काम करेंगे । चूंकि सरकार के पास किसानों की खुदकुशी को लेकर सही आंकड़े मौजूद नहीं हैं और ना ही खुदकुशी के कारणों की जानकारी है। जिससे राज्य सरकार आत्महत्या कर चुके किसानों के परिवारों की आर्थिक सहायता करने में असमर्थता जताने लगती थी ।