
पूर्व भारतीय हॉकी टीम के कप्तान और हरियाणा के खेल एवं युवा मामलों के मंत्री संदीप सिंह के बड़े भाई बिक्रमजीत सिंह टेरिटोरियल आर्मी में बतौर लेफ्टिनेंट चयनित हुए हैं। बिक्रमजीत सिंह सेना के प्रशिक्षण केंद्र से अपनी ट्रेनिंग पूरी कर चुके हैं। बता दें कि बिक्रमजीत सिंह 12 वर्ष तक राष्ट्रीय हॉकी टीम में खेलते हुए भी देश का नाम रोशन कर चुके हैं। हॉकी से सेना तक के सफर को लेकर बिक्रमजीत काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि देश की सेना में भर्ती होकर सेवा करना उनका सपना था। वर्तमान में बिक्रमजीत सिंह इंडियन ऑयल कार्पोरेशन में बतौर मैनेजर कार्यरत हैं।
हरियाणा के खेल मंत्री एवं पिहोवा से विधायक संदीप सिंह ने बताया कि उनके बड़े भाई बिक्रमजीत सिंह ने हमेशा उन्हें सही-गलत की पहचान करना सिखाया है। एक दुर्घटना में जब उन्हें पीठ में गोली लगी थी। तब हर किसी को लगा था कि मेरा हॉकी करियर अब खत्म है, लेकिन तब बड़े भाई बिक्रमजीत ही मेरा सहारा बने थे। बिक्रमजीत ने अस्पताल से दोबारा हॉकी ग्राउंड तक पहुंचाने में मेरा पग-पग पर साथ दिया है। गौरतलब है कि संदीप सिंह पर बनी फिल्म ‘सुरमा’ में भी दोनों भाइयों की केमेस्ट्री को बेहद प्रेरणादायक ढंग से दिखाया गया है। पिता गुरचरण सिंह व माता दलजीत कौर ने कहा कि उन्हें गर्व होता है कि उनके दोनों बेटे देश की सेवा कर रहे हैं।
टेरिटोरियल आर्मी यानी प्रादेशिक सेना भारतीय सेना की ही एक ईकाई है। सामान्य श्रमिक से लेकर सिविल सर्वेंट तक भारत के सभी 18 से 42 वर्ष तक के नागरिक, जो शारीरिक और मानसिक रूप से समर्थ हों, इसमें भर्ती हो सकते हैं। टेरिटोरियल आर्मी में आवेदन करने के लिए अभ्यर्थी के पास किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से किसी भी विषय में स्नातक की डिग्री होनी चाहिए । बता दें कि भारतीय संविधान सभा द्वारा सितंबर, 1948 में पारित प्रादेशिक सेना अधिनियम – 1948 के अनुसार भारत में अक्टूबर, 1949 में टेरिटोरियल आर्मी स्थापित की गई थी। जिसका उद्देश्य संकटकाल में आंतरिक सुरक्षा का दायित्व लेना और आवश्यकता पड़ने पर नियमित सेना को सपोर्ट देना तथा इस तरह से पार्ट टाइम ही सही नवयुवकों को देशसेवा का अवसर प्रदान करना है। देश में 9 अक्तूबर को टेरिटोरियल आर्मी दिवस मनाया जाता है।
राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी 2012 में टेरिटोरियल आर्मी के लेफ्टिनेंट बने थे। ऐसा करने वाले वो पहले मंत्री बने थे। यह पक्की नौकरी नहीं बल्कि वॉलंटियर सर्विस है। शहीद औरंगजेब जो कि राइफलमैन थे को उनकी बहादुरी और बलिदान के लिए दो साल पहले शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। वह कश्मीर में आतंकियों से मुकाबला कर रही भारतीय सेना के अहम हिस्से ‘टेरिटोरियल आर्मी’ का हिस्सा थे । इसी टेरिटोरियल आर्मी में भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ऑनरेरी लेफ्टिनेंट कर्नल हैं ।