
हरियाणा के अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। क्योंकि हरियाणा सरकार ने 15 नवंबर, 2018 को अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की ओर से पदोन्नति में आरक्षण देने संबंधी आदेश 23 जून, 2020 को वापस ले लिया है। इससे अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के लगभग 30 हजार कर्मचारियों को तेज झटका लगा है। आरक्षण खत्म होने से अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के हजारों कर्मचारी बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रधान सचिव के ताजा पत्र के अनुसार सरकारी विभागों व उपक्रमों के कर्मचारियों की वरिष्ठता की एकरूपता को बरकरार रखने के लिए यह निर्णय लिया गया है। नवंबर 2018 में जारी आदेशों को लागू करने के लिए दिए गए सभी निर्देश व स्मरण पत्र भी वापस ले लिए गए हैं। ताजा आदेशों पर अमल करने के लिए सभी विभागाध्यक्षों को नया पत्र जारी कर दिया गया है।
आईएएस अनिल कुमार कमेटी की रिपोर्ट 17 जून, 1995 के आदेशानुसार अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों को आरक्षण नीति के अनुसार रोस्टर प्रणाली के जरिए पदोन्नति मिलनी थी। किंतु हरियाणा सरकार ने इस पत्र के निर्देशों को आज तक किसी भी विभाग में लागू नहीं किया । निर्देशों में सीधी भर्ती एवं पदोन्नति में रोस्टर के अनुसार सृजित होने वाले पदों एवं वरिष्ठता सूची के निर्धारण को स्पष्ट तौर पर परिभाषित किया था ताकि किसी भी विभाग में या किसी भी व्यक्ति के मन में रोस्टर के कारण निर्धारित होने वाले पदों के बारे में कोई संशय ना रहे।
हरियाणा सरकार के इस निर्णय के विरुद्ध सभी अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के संगठन सरकार के विरुद्ध हो गए हैं। हरियाणा अनुसूचित जाति राजकीय अध्यापक संघ ने भी राज्य सरकार के खिलाफ कड़ा रुख आख्तियार किया है । गौरतलब है कि पिछले वर्ष फरवरी महीने में केंद्र को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणी के कर्मचारियों को ‘कानून के अनुसार’ पदोन्नति में आरक्षण देने की अनुमति दे दी थी । इस वर्ष फरवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा था कि राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है।