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परांठे की तरह अब पॉपकॉर्न पर भी देना होगा 18 फीसदी जीएसटी

कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी के चलते जहां देश की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है । वहीं बेरोजगारी के चलते आम आदमी की आर्थिक स्थिति भी काफी दयनीय बनी हुई है । देश में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही पेट्रोल-डीजल की कीमतों से खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी होना भी तय है । मगर देश में आर्थिक नीतियां निर्धारित करने वाले अधिकारी खाद्य पदार्थों पर अलग तरीके से कीमतें बढ़ाने में व्यस्त चल रहे हैं जिसका सीधा असर आम आदमी की थाली पर पड़ रहा है । एएआर ने दिनों पहले अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर) की कर्नाटक पीठ ने परांठे पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला किया गया था। अब पॉपकॉर्न पर 18% जीएसटी लगाने का फैसला लिया है। कॉर्न यानी मक्के के पैकेट पर पांच फीसदी की दर से ही जीएसटी लगाया जाता है । मगर अथॉरिटी फॉर एडवांस्ड रूलिंग (एएआर) के फैसले के अनुसार खाने के लिए तैयार पॉपकॉर्न पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया जाएगा ।


पॉपकॉर्न बनाने वाली सूरत की एक कंपनी ‘जय जलराम एंटरप्राइजेज’ ने एएआर से आग्रह किया था कि पॉपकॉर्न पर पांच फीसदी की दर से ही जीएसटी लगे, क्योंकि इसमें कॉर्न है । कॉर्न अनाज का ही एक प्रकार है और देश में अनाजों पर पांच फीसदी जीएसटी लगता है। परंतु एएआर ने कंपनी की यह अपील ठुकरा दी और पॉपकॉर्न पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगाने का फैसला लिया गया।
जीएसटी लागू करने से पहले मोदी सरकार ने देश की जनता से वायदा किया था कि देश में जीएसटी लागू होने के बाद एक ही दर पर टैक्स लगाया जाएगा जिससे महंगाई को नियंत्रित करना आसान रहेगा । किंतु यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वायदे के विपरित परिस्थितियां बन रही हैं और जनता द्वारा चुनी हुई सरकार ही जनता की चिंताजनक स्थिति पर ध्यान नहीं दे रही है ।
गौरतलब है कि देश में अब रोटी पर 5 फीसदी और परांठे पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है । इस मामले पर पीठ ने रोटी और परांठे पर अलग-अलग जीएसटी लगाने का फैसला देते हुए दलील दी थी कि रोटी पहले से ही पूरी तरह से पका हुआ उत्पाद है, जबकि परांठे को खाने के लिए परोसने से पहले गरम करना पड़ता है अर्थात् इस परांठे को खाने लायक बनाने के लिए और प्रोसेसिंग करने की जरूरत पड़ती है। इसलिए रोटी और परांठे पर लगने वाली जीएसटी की दर में अंतर है ।
सामान की अलग प्रकृति के कारण उन सामान पर जीएसटी भी अलग-अलग दर से लागू होता है । जीएसटी की ये पांच स्लैब 3%, 5%, 12%, 18%, 28% हैं । जीएसटी पर कई तरह के सेस तथा अलग-अलग तरह के क्लासिफिकेशन भी लगते हैं ।

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