Breaking NewsTop Newsदेशवायरलहरियाणा
सोनीपत के एक गांव में 35 ग्रामीणों ने मुस्लिम धर्म छोड़ कर की हिन्दू धर्म में घर-वापसी

दिल्ली एनसीआर में सोनीपत जिले के अंतर्गत आने वाले गोहाना क्षेत्र के कासंडा गांव में धर्म परिवर्तन का ताजा मामला सामने आया है जिसमें 35 मुस्लिमों द्वारा मुस्लिम धर्म को छोड़कर हिन्दू धर्म अपनाया गया है ।
धर्म परिवर्तन करने वाले इन परिवारों ने हिन्दू धर्म अपनाते समय सबसे पहले आर्य समाज के साथ मिलकर हवन किया और हवन करने के बाद हिंदू धर्म अपनाने वाले ग्रामीणों ने जनेऊ धारण करते हुए खुद को हिन्दू घोषित कर दिया । हिन्दू धर्म अपनाने वालों में से राकेश नामक एक शख्स ने कहा, ”हमारे परिवार मजबूरी में हिंदू से मुस्लिम बन गए थे, लेकिन अब हिंदुओं के समझाने पर हमने दोबारा से अपनी प्राचीन आस्था को पूरे रीति-रिवाज से अपनाने का फैसला कर लिया है। हमने अपनी खुशी-खुशी हिंदू धर्म को अपनाया है।’ परिवार की एक महिला ने कहा, ”हम कल तक मुस्लिम जरूर थे, मगर अब अपनी मर्जी से हिंदू धर्म अपना लिया है। हमारे बुजुर्ग कहते थे कि बहुत पहले हम हिंदू थे, जो मुगलों के शासनकाल में भयवश दूसरे मजहब में चले गए थे। अब हम अलग-अलग परिवारों के पैंतीस लोगों ने हिंदू धर्म को अपनाया है। हम सभी ने हिंदू धर्म में आस्था जताई है।’
जींद जिले के कालवा गांव स्थित गुरुकुल से पहुंचे आचार्य यशवीर और आचार्य कृष्ण ने ग्रामीणों का आर्य समाजी तरीके से धर्म परिवर्तन करवाया। गठवाला खाप के दादा बलजीत सिंह मलिक के पास सोमवार को कासंडा गांव के ग्रामीणों ने फोन करके बताया था कि गांव के मुस्लिम परिवार के लोग दोबारा हिंदू धर्म में शामिल होना चाहते हैं। इस पर कालवा गांव स्थित गुरुकुल से संपर्क किया गया। मंगलवार को गुरुकुल से आचार्य यशवीर और आचार्य कृष्ण गांव कासंडा पहुंचे और हिन्दू धर्म के रीति-रिवाजों के अनुसार आगे की प्रक्रिया निभाई गई । कासंडा गांव की सरपंच निशा के पति रूपेेंद्र कुमार, नंबरदार सतबीर सिंह, गठवाला खाप के दादा बलजीत सिंह मलिक व कासंडा सवा सत्रह के अध्यक्ष उमेद सिंह मलिक आदि मौके पर मौजूद रहे।
इस बारे में जानकारी देते हुए मलिक (गठवाला खाप) के प्रधान दादा बलजीत ने बताया कि यह गांव मलिक खाप के अंतर्गत आता है। वे लोग धोबी मुस्लिम समाज से हैं, जो कभी हिंदू ही थे। यह एक तरह से घर-वापसी हुई है।’ धर्म परिवर्तन करने वाले सभी लोगों को भगवा पटका पहनाते हुए सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक के साथ ‘दो भाइयों की बातें’ पुस्तकें भेंट की गईं।